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धात रोग या धातु रोग (dhatu Syndrome) क्या है?इसके कारण, लक्षण और इसका आयुर्वेदिक उपचार, बचाव तथा सावधानियां: 

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आज हम इस ब्लॉग पोस्ट में आपको धात रोग या धातु रोग (dhatu Syndrome) क्या है? इसके कारण, लक्षण और इसका आयुर्वेदिक उपचार, बचाव तथा सावधानियों के संबध जानकारी देने का प्रयास करेंगे। तो चलिए जानते है कि धात रोग या धातु रोग (dhatu Syndrome) क्या है?

 धात (dhatu Syndrome) एक सामान्य बीमारी है। इससे हमारे शरीर पर किसी प्रकार का कोई नकारात्मक प्रभाव नही पड़ता है। धात (dhatu Syndrome) जाने का मतलब हमारे वीर्य का हमारी इच्छा के बिना बाहर निकलना। यह प्रक्रिया अक्सर हमारी नींद के दौरान या अन्य परिस्थितियों जैसे: पेशाब या मल त्याग करने के दौरान होती है। हमारे शरीर से वीर्य का उत्सर्जन होना एक प्राकृतिक प्रक्रिया है। प्राकृतिक रूप से उत्सर्जित हुए वीर्य से हमारे शरीर को किसी प्रकार का कोई नुकसान नही होता है। इसको लेकर हमारे समाज में बहुत सारे भ्रम जुड़े हुए होते है जैसे कि शारीरिक कमजोरी, हाथ पैर में दर्द होना, मानसिक तनाव इत्यादि। कुछ लोग इस बीमारी को पुरुषों की सेक्स समस्या मानते है। इस बीमारी में कभी कभी ऐसा होता है कि व्यक्ति को बगैर सेक्स उत्तेजना और संभोग क्रिया किए बिना अनैच्छिक रूप से वीर्य बाहर निकालने लगता है। कई मामलों में व्यक्ति का वीर्य मूत्र विसर्जन से पहले ही बाहर निकल जाता है, या फिर मूत्र त्यागने के दौरान बाहर आता है। यह वास्तविकता है कि यदि आपके साथ ऐसा हो रहा है तो इससे आपके शरीर को कोई नुकसान नही होता है। 

जब कभी किसी पुरुष (man) के दिलो-दिमाग में कामवासना या सेक्स क्रीड़ा के मनोभाव जागृत हो जाते है तो, इस दौरान लिंग (penis) के आकर में बदलाब हो जाता है और यह उत्तेजना की अवस्था/स्थिति में चला जाता है। उत्तेजना की अवस्था/स्थिति के कुछ समय उपरांत व्यक्ति के लिंग (penis) से सफेद रंग के पानी जैसा पतला लारदार पदार्थ बाहर निकालने लगता है। यदि लारदार सफेद पदार्थ की मात्रा कम है तो यह जल्दी से हमारे लिंग के अग्रिम भाग से बाहर नही आ पाता है। अगर यदि व्यक्ति काफी समय से उत्तेजित अवस्था में है तो, इस दौरान उस व्यक्ति के लिंग के अगले हिस्से पर लार की चिपचिपी बूंद बाहर आने लगती है। जब हमारे शरीर से हमारी मर्जी बिना उक्त सफेद लारदार पदार्थ लिंग से बाहर आने लगे तो इसी प्रक्रिया को धात (dhatu Syndrome) रोग कहते है।

वर्तमान युग में लोगों द्वारा समाज द्वारा अश्लीलता बढ़ने के कारण युवक और युवतियां अक्सर अश्लील (पोर्न) फिल्मे देखते है और अश्लील साहित्य को पढते है। इस दौरान उक्त युवक युवतियां उत्तेजनावश होकर गलत तरीके से अपने वीर्य (Semen) और रज (seminal fluid) को बर्बाद करते है। इसी दौरान अधिकतर लड़के-लड़कीयां अपने विचारों/ख्यालों में सेक्स क्रीड़ा/शारीरिक संबंध बना लेते है। जिसके कारण इनके लिंग अधिक समय तक उत्तेजना की स्थिति/अवस्था में बना रहता है। इसी समय व्यक्ति का धात रूपी तरल पदार्थ अपने आप ज्यादा मात्रा में बाहर निकालना प्रारंभ हो जाता है। जब व्यक्ति इस अवस्था/स्थिति में अधिक समय तक खोया रहता है तो उसका वीर्य बाहर निकल जाता है। इसके तुरंत बाद व्यक्ति की उत्तेजना शांत हो जाती है।

 कई बार व्यक्ति के सोने के दौरान मनोभाव सेक्स क्रीड़ा होने के बाद भी वीर्य निकल जाता है। इसके पीछे अन्य कारण भी हो सकते है। जैसे अत्यधिक मात्रा हस्तमैथुन करना या सेक्स करना, पाचन तंत्र खराब होना या शारीरिक कमजोरी होना, मूत्र (यूरिन) और जननांगों से संबंधित समस्या होना, सेक्स के दौरान असंतोष होना, मूत्र निकासी मार्ग में खिंचाव या सिकुड़न होना, इसके साथ ही मलाशय (rectum) से संबंधित विकार भी धातु रोग के कारण हो सकते है  जैसे बवासीर (piles) का होना, एनल फिशर (anal fisher) रोग का होना, त्वचा पर फोड़े-फुंसी (boils)  आदि विकार। 

धात रोग या धातु रोग (Dhatu Syndrome) के क्या कारण है?

धात रोग के कारण विभिन्न हो सकते हैं और यह बात यथासंभाव स्वास्थ्य के प्रति अधिक जागरूकता और सावधानी के आवश्यकता को दिखाती है:

• अशुद्ध आहार (poor diet): जब व्यक्ति अशुद्ध आहार (poor diet) का अधिक मात्रा में सेवन करता है। इस कारण से भी धातु रोग का होना संभव है। 

• हस्तमैथुन (Masturbation): जब कोई व्यक्ति  अधिक मात्रा में हस्तमैथुन करता है तो तो इस व्यक्ति को धात रोग हो सकता है।

• अत्यधिक तनाव (extreme stress): व्यक्ति द्वारा अधिक मात्रा में लिया गया तनाव, चिंता, और चिंतन की स्थिति में रहने से भी धातु दोष हो सकता है।

• अशुद्ध मनोवृत्ति (bad attitude): व्यक्ति के मन में आई नकारात्मक मनोवृत्ति और आत्मविश्वास की कमी के कारण धात रोग हो सकता है।

• व्यायाम न करना: नियमित रूप से व्यायाम न करने से भी धातु दोष हो सकता है।

• अशुद्ध विहार (unclean vihar): अशुद्ध विहार जैसे दुर्गंधा, अशुद्ध खानपान आदि के कारण भी धातु दोष उत्पन्न हो सकता है।

• धूम्रपान और शराब की आदत (smoking and drinking habits): धूम्रपान और शराब का अधिक सेवन से भी धातु दोष हो सकता है।

• वातावरणिक कारण (environmental causes): अधिक धूल-कीटाणु और प्रदूषण से भी धात रोग हो सकता है।

• किसी बीमारी का परिणाम (result of a disease):  कई बार किसी अन्य बीमारी का इलाज करने के दौरान भी धात रोग हो सकता है।

• नींद की कमी (insomnia): अनियमित और कम नींद लेने से भी धात रोग हो सकता है।

• मन में अधिक कामुक और अश्लील विचार रखना (sexual and obscene thoughts): जब कोई व्यक्ति अपने मन में मन में अधिक कामुक और अश्लील विचार रखता है तो इस कारण से भी धात रोग होने की संभावना बढ़ जाती है।

• अशुद्ध जीवनशैली (unclean lifestyle): खराब जीवनशैली, खराब आदतें और अनियमित खानपान के कारण भी धात रोग हो सकता है।

• हॉर्मोनल असंतुलन (hormonal imbalance):  हॉर्मोनल स्तर में असंतुलन के कारण भी धात रोग हो सकता है।

• वीर्य का पतला होना: जब किसी व्यक्ति का वीर्य पतला हो जाता है, तो इसके बाहर निकलने के चांस भी ज्यादा रहते है। इस कारण से भी धात रोग होने की संभावना होती है।

• शारीरिक श्रम की कमी: शारीरिक श्रम की कमी के कारण भी धात रोग हो सकता है।

• विषाद और उदासीनता: अधिक विषाद और उदासीनता के कारण भी धात रोग हो सकता है। यह केवल कुछ कारण हैं जो धात रोग का कारण बन सकते हैं। इसे जानकर स्वस्थ्य जीवनशैली अपनाना और दिनचर्या में सुधार करना महत्वपूर्ण होता है।

धात रोग या धातु रोग (Dhat Syndrome) के लक्षण क्या है?  

धात रोग (धातु दोष) का मुख्य लक्षण है कि व्यक्ति अपनी यौन शक्ति, वीर्य और धातु को नुकसान पहुँचने का भय महसूस करता है, जिसके परिणामस्वरूप वह व्यक्ति मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में कमजोरी महसूस कर सकता है। यह बीमारी मनोवैज्ञानिक रूप से “सेक्स न्यूरोसिस” के तहत आती है और यह यौन तंत्र के विकारों में से एक माना जाता है। धात रोग के लक्षण निम्नलिखित हो सकते है:

• शारीरिक कमजोरी (physical weakness): धात रोगी को शारीरिक कमजोरी और थकान महसूस होती है।

• नींद की कमी (lack of sleep): धात के कारण व्यक्ति को अनियमित नींद और अच्छी नींद नहीं आने की समस्या हो सकती है।

• मानसिक तनाव (mental stress):  इस बीमारी के कारण व्यक्ति अपने यौन स्वास्थ्य को लेकर चिंतित और तनावग्रस्त रहता है।

• यौन शक्ति में कमी (lack of sexual power): यौन संबंध बनाने की क्षमता में कमी और अतिरिक्त वीर्य के निकलने की समस्या होना।

• पेशाब में जलन और सुजान (burning sensation in urine): धात के रोगी को पेशाब करते समय जलन और सुजान की समस्या हो सकती है।

• श्वेत प्रदर (योनि से सफेद पानी): महिलाओं में श्वेत प्रदर की समस्या हो सकती है जिसमें योनि से सफेद पानी आना शामिल हो सकता है।

• थकान और कमजोरी: धात के रोगी को थकान और शारीरिक कमजोरी महसूस हो सकती है।

• लिंग (पेनिस) के मुख से लार टपकना: धात रोगी केलिंग (पेनिस) के मुख से बार बार लार का टपकती रहती है। 

•  वीर्य शक्ति जा पतला होना: धात की बीमारी में व्यक्ति की वीर्य शक्ति पानी जैसी पतली हो जाती है।

• जल्दी से गुस्सा आना:  धात के रोगी को बहुत छोटी छोटी बातों पर जल्दी से गुस्सा आ जाता है। 

• मनोवैज्ञानिक समस्याएँ: धात रोग से प्रभावित व्यक्ति को मानसिक समस्याएँ भी हो सकती हैं जैसे कि डिप्रेशन, चिंता, बेचैनी, आदि।

• किसी कार्य में मन न लगना: धात रोगी के मन मे अशांति और बेचनी रहती है। इस कारण से रोगी का किसी कार्य में मन नहीं लगता है।

• हाथ पैर में दर्द होना: धात रोगी के हाथ और पैर में दर्द रहता है। इसके साथ ही इसकी पिडरियों में भी भड़क और दर्द महसूस होता है।

• नपुंसकता (impotence): धात रोग के परिणामस्वरूप व्यक्ति की यौन शक्ति में कमी हो सकती है, जिससे वह नपुंसक हो सकता है।

यदि आपको इन लक्षणों में से किसी भी लक्षण का सामना हो रहा है, तो बेहतर होता है कि आप एक चिकित्सक से परामर्श करें और उचित उपचार प्राप्त करें।

धात रोग या धातु रोग (Dhat Syndrome) का आयुर्वेदिक उपचार क्या है?:

आपने ऊपर पढ़ा की धात रोग के लक्षण क्या है। अब हम जानेंगे इसके आयुर्वेदिक उपचार क्या क्या है। धात रोग का आयुर्वेदिक उपचार उन विविध तत्वों को समाहित करता है जो शरीर की संतुलन में सुधार कर सकते हैं। यहां कुछ आयुर्वेदिक उपचार दिए जा रहे हैं जो धात रोग के लिए प्रयुक्त किए जा सकते हैं:

• शिलाजीत: शिलाजीत शरीर की कमजोरी को दूर करने और यौन शक्ति को बढ़ाने में मदद कर सकता है।

• अश्वगंधा: यह एक प्राकृतिक तत्व है जो यौन स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है और यौन दुर्बलता को कम कर सकता है।

• कौंच बीज: कौंच के बीज यौन समस्याओं को दूर करने में मदद कर सकते हैं और यौन स्वास्थ्य को सुधार सकते हैं।

• वृष्य चिकित्सा: धात रोग के लिए वृष्य चिकित्सा का उपयोग किया जा सकता है जिसमें विशेष प्रकार की आहार, पानी और व्यायाम की गाइडेंस होती है।

• योग और प्राणायाम: योग और प्राणायाम का अभ्यास करने से शरीर की प्राकृतिक ताकत बढ़ती है और यौन स्वास्थ्य में सुधार हो सकता है।

• आहार और व्यायाम: सही प्रकार के आहार और नियमित व्यायाम से शरीर की कमजोरी दूर हो सकती है और यौन स्वास्थ्य में सुधार हो सकता है।

• अर्जुन की छाल: अर्जुन की छाल का प्रयोग यौन स्वास्थ्य को बढ़ावा देने में मदद कर सकती है।

• गोखरू:  गोखरू यौन स्वास्थ्य को सुधारने में मदद कर सकता है और यौन दुर्बलता को कम कर सकता है।

• ब्रह्मी: ब्रह्मी का सेवन करने से शरीर में ताकत आ सकती है और यौन स्वास्थ्य में सुधार हो सकता है।

• अंजीर: अंजीर में पोटेशियम और विटामिन बी1 के योगदान से यौन स्वास्थ्य में सुधार हो सकता है।

• तुलसी के बीज का सेवन: धात रोगी को रोजाना तीन से चार ग्राम तुलसी के बीजों को मिश्री मे मिलाकर खाने से उक्त बीमारी जल्दी ठीक होती है। 

• त्रिफला: त्रिफला शरीर की पाचन क्रिया को सुधारने में मदद कर सकता है और यौन स्वास्थ्य को सुधार सकता है।

• आंवले का चूर्ण और दूध का सेवन: रात्रि में सोने से एक गिलास दूध में आंवले का चूर्ण मिलाकर पीने से धात रोग जल्दी से ठीक होता है।

• ब्राह्मी बटी: ब्राह्मी बटी का सेवन करने से मानसिक तनाव कम हो सकता है जिससे यौन स्वास्थ्य में सुधार हो सकता है।

• आंवले और शहद: धात रोगी को रोजाना खाली पेट शहद के साथ दो चम्मच अमले के रस को मिलाकर इसका सीन सेवन करने से इस बीमारी में आराम मिलता है।

• गोली उपचार: कुछ आयुर्वेदिक गोलियाँ भी उपलब्ध होती हैं जो धात रोग के लिए प्रयुक्त की जा सकती हैं।

• जामुन की गुठली का प्रयोग: धात रोगी को जामुन की गुठलियों को एकत्रित करके धुप में सुखाकर लें उसके बाद उसका पाउडर बनाकर किसी डिब्बे में रख लें। इस चूर्ण का सेवन रोजाना सुबह शाम खाना खाने के बाद दूध के साथ करने से इस बीमारी में जल्दी से आराम मिलता है।  

• धातुपौष्टिक चूर्ण: यह चूर्ण शरीर की ताकत बढ़ाने में मदद कर सकता है और यौन स्वास्थ्य में सुधार सकता है।

• गिलोय और शहद का प्रयोग: धात रोग से निजात हेतु रोगी को एक चम्मच मधुमक्खी का शहद और  दो चम्मच नीम गिलोय का रस मिलाकर चाटने से बीमारी समाप्त होती है।

• प्राकृतिक उपचार: आयुर्वेद में कई प्राकृतिक उपचार होते हैं जैसे कि ताज़े फलों का सेवन, ताज़े शाकाहारी आहार, नियमित व्यायाम, और सही दिनचर्या का पालन करना।

यह उपचार आयुर्वेदिक चिकित्सक के परामर्श के बाद ही लेने चाहिए, क्योंकि उन्हीं के सुझावों के आधार पर सही उपाय तय किया जा सकता है।

धात रोग या धातु रोग (Dhat Syndrome) के लिए बचाव और सावधानियां क्या है?  

आपने अब तक धात रोग के आयुर्वेदिक उपचार के संबध मे जाना, अब हम आपको इसके बचाव और सावधानियों के बारे में जानकारी देने का प्रयास करेंगे।

धात रोग की निम्नलिखित बचाव और सावधानियां है: 

• सही आहार: धात रोग की बचाव के लिए सही आहार की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। इसको अपने आहार में ताज़ा और पौष्टिक आहार खाने का प्रयास करें, जिसमें फल, सब्जियां, प्रोटीन युक्त आहार, और हरी पत्तियां शामिल हों।

• योग और प्राणायाम:  योग और प्राणायाम का अभ्यास करने से शरीर की कमजोरी कम हो सकती है और मानसिक स्थिति में सुधार हो सकता है, जिससे धात रोग से बचाव हो सकता है।

• हेल्दी दिनचर्या: नियमित और स्वस्थ दिनचर्या का पालन करना धात रोग से बचाव में मदद कर सकता है। निद्रा पर्याप्त लें और समय पर उठें।

• शरीरिक व्यायाम:  योग्य शरीरिक व्यायाम करने से शरीर की ताकत बढ़ती है और यौन स्वास्थ्य में सुधार होता है।

• हाइजिन आहार से परहेज: तीखे, मसालेदार, तले  हुए आहार से बचें, क्योंकि ऐसा आहार धात रोग को बढ़ावा देने में मदद कर सकता है।

• स्वस्थ मनोबल: तंत्रिका के स्वास्थ्य के लिए मानसिक स्वास्थ्य भी महत्वपूर्ण है। स्वस्थ मनोबल बनाए रखने के लिए मेडिटेशन, प्राणायाम, और सकारात्मक विचारों का पालन करें।

• अत्यधिक विरोधी बलों वाले आहार का परहेज: अत्यधिक विरोधी बलों वाले आहार का सेवन करने से बचें, जैसे कि विनिगर, सिट्रस फल, टमाटर, अदरक, आदि।

• धात रोग का उपचार: यदि आपको धात रोग है, तो आपको तुरंत एक वैद्य से परामर्श करना चाहिए। आयुर्वेदिक चिकित्सक से सही उपचार प्राप्त करें और उनके सुझावों का पालन करें।

• यौन स्वास्थ्य की देखभाल: यौन स्वास्थ्य की देखभाल के लिए सही तरीके से जानकारी प्राप्त करें और सुरक्षित तरीके से सेक्स करें।

• अच्छी दिनचर्या: दिनभर की गुड़ दिनचर्या का पालन करें, जिसमें नियमित निद्रा, पौष्टिक आहार, और योग्य व्यायाम शामिल हों।

• योगासन और प्राणायाम: कुछ योगासन और प्राणायाम धात रोग को दूर करने में मदद कर सकते हैं, जैसे कि वज्रासन, हलासन, भ्रमरी प्राणायाम, आदि।

• तनाव का प्रबंधन: तनाव को प्रबंधित करने के लिए मेडिटेशन, योग, और शांति प्राप्ति के तरीकों का पालन करें।

• गर्म द्रवों का सेवन: गर्म द्रवों का सेवन करने से धात रोग की समस्या कम हो सकती है, जैसे कि नारियल पानी, पुदीना पानी, गर्म दूध, आदि।

• असुरक्षित संबंधों से बचाव: असुरक्षित संबंधों से बचें और स्वस्थ और सुरक्षित यौन जीवन बनाए रखने के लिए सही तरीके से जानकारी प्राप्त करें।

• आयुर्वेदिक उपचार: धात रोग का आयुर्वेदिक उपचार विधिवत रूप से लेना चाहिए, जैसे कि अश्वगंधा, शिलाजीत, कौंच बीज, ब्राह्मी, वचा, आदि का सेवन करके।

धात रोग को बचाने के लिए ये सभी सावधानियां महत्वपूर्ण होती हैं और आपको इन्हें अपनी दिनचर्या में शामिल करने की सलाह दी जाती है। सही दिशा में जानकारी प्राप्त करके आप धात रोग से बच सकते हैं और एक स्वस्थ और खुशहाल जीवन जी सकते हैं।

एसपी सिंह चंद्रमा

एसपी सिंह चंद्रमा

अधिकतर मेरे लेख अपने आरोग्य को सुधारने, प्राकृतिक चिकित्सा और आयुर्वेद के अद्भुत फायदों पर आधारित होते हैं। मेरा उद्देश्य सामान्य लोगों को स्वस्थ और संतुलित जीवन जीने के लिए प्रेरित करना है और उन्हें शक्तिशाली आयुर्वेदिक उपचार और उपायों से अवगत कराना है। मेरे लेखों में आपको विशेषज्ञ सलाह और नैतिकता के साथ विश्वसनीय जानकारी मिलेगी जो आपके रोगों को दूर करने में मदद करेगी और आपको स्वस्थ और प्रकृति से समृद्ध जीवन जीने में सहायता करेगी। धन्यवाद।

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