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सावधान! कहीं आप भी तो नही है गुर्दे की पथरी Kidney stone के शिकार, तो जाने गुर्दे की पथरी Kidney stone के कारण, लक्षण और इसके आयुर्वेदिक उपचार तथा बचाव और सावधानियां।

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आज हम इस ब्लॉग आर्टिकल में आपको गुर्दे की पथरी के संबध में जानकारी देंगे, आज की पोस्ट का शीर्षक है “सावधान! कहीं आप भी तो नही है गुर्दे की पथरी Kidney stone के शिकार, तो जाने गुर्दे की पथरी Kidney stone कारण, लक्षण और इसके आयुर्वेदिक उपचार तथा बचाव और सावधानियां।” तो चलिए जानते है कि गुर्दे की पथरी Kidney stone क्या होती है?

आजकल हमारे खानपान और जीवन शैली में बहुत सारे परिवर्तन आ गए है, इन्हीं कारण से हमारे शरीर मे बहुत सारी बीमारियों ने अपना घर बना लिया है। इसी बीमारी में से एक है गुर्दे की पथरी Kidney stone यह बीमारी हमारे गुर्दे में कठोर खनिज पदार्थों के जमाव के कारण होती है। यह जमे हुए पदार्थ इतने कठोर और शख्त होते है मानो जैसे कोई पत्थर ही हो। यह पथरी ऑक्सालेट कैलियम युक्त होती है। जब हमारे मूत्र या यूरिन में मौजूद रासायनिक पदार्थों की संद्रता का अनुपात एक निश्चित अनुपात से अधिक हो जाता है तो इसी इसी दशा मे गुर्दे की पथरी kindeny stone का निर्माण होता है। पथरी का आकार हर किसी व्यक्ति के शरीर में अलग अलग होता है। सामान्यतः पथरी का आकार रेत के कण से लेकर एक गोल्फ की बाल के बराबर हो सकता है। आमतौर पर गुर्दे की पथरी kidney stone गुर्दे में ही तैयार होकर मूत्र मार्ग में संचरण करती है। कभी कभी यह पथरी मूत्र मार्ग में फंस जाती है। कई बार गुर्दे की पथरी kidney stone ब्लैडर के रास्ते मूत्राशय में चली जाती है और पेशाब के द्वारा बाहर निकल जाती है। जब गुर्दे की पथरी ब्लैडर से निकलकर मूत्रमार्ग में फंस जाती है तो इस स्थिति में व्यक्ति के अंडकोष सहित पेट में असहनीय दर्द महसूस होता है। कभी कभी पेशाब करने के दौरान रक्त या मवाद भी आ जाता है। यदि पथरी का समय पर उपचार नही करवाया गया तो यह पथरी गुर्दे kidney के ऑपरेशन का कारण बन जाती है। हम समय रहते हुए पथरी के लक्षणों को पहचान लें और इसका उचित उपचार लेकर गुर्दे पथरी को ठीक कर सकते है।

गुर्दे की पथरी kindey stone के कारण:

गुर्दे की पथरी, जिसे अंग्रेजी में “Kidney Stones” भी कहा जाता है, एक सामान्य प्रकार की पथरी है जो गुर्दे (किडनी) में बनती है। यह छोटी छोटी गांठें होती है, जो मूत्रमार्ग के द्वारा मूत्र के साथ बाहर निकलती हैं। गुर्दे की पथरी के कुछ प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं:

• बढ़ती उम्र: बढ़ती उम्र के लोगों को गुर्दे में पथरी होने की ज्यादा संभावना होती है।

• पानी कम पीना: जब कोई व्यक्ति पानी कम पीता है तो इस कारण से भी गुर्दे में पथरी बनने की संभावना बढ़ जाती है।

• खाने की खराब आदतें: तला हुआ खाना, अधिक नमकीन और तीखा खाना खाने से गुर्दे में पथरी बनने की संभावना बढ़ जाती है।

• पानी में उच्च खनिज सामग्री: पानी में अधिक मात्रा में खनिज सामग्री (जैसे कैल्शियम और ऑक्सलेट) होने से पथरी बनने की संभावना बढ़ जाती है।

• अनुवांशिकता के आधार पर गुर्दे की पथरी की संभावना: यदि हमारे माता पिता के किसी को पहले गुर्दे की पथरी हुई है। तो उस व्यक्ति को भी अनुवांशिकता के आधार पर पथरी होने की संभावना होती है।

• दिल्ली जैसे शहरों की प्रदूषित जलवायु: कुछ शोधों के अनुसार दिल्ली जैसे प्रदूषित शहरों की जलवायु के कारण भी गुर्दे की पथरी होने की संभावना अधिक होती है।

• दवाओं के दुष्परिणाम: कुछ बीमारियों और दवाओं के दुष्परिणाम और हमारे गलत आहार के कारण भी पथरी बनने की संभावना बढ़ जाती है।

• कैल्शियम: हमारे द्वारा कम मात्रा में कैल्सियम लेना और अधिक मात्रा में ऑक्सालेट्स युक्त पदार्थों का इस्तेमाल करना।

• अधिक मात्रा मे खनिज पदार्थों का सेवन: अधिक मात्रा मे कैल्शियम, विटामिन डी और विटामिन सी का सेवन करना।

• शरीर में पहले से बीमारी रहना: हमारे शरीर में जब शुगर (मधुमेह), ब्लेड प्रेसर (उच्च रक्तचाप), अधिक मोटापा या फिर जिनकी गैस्ट्रिक (gastric) या बैरियाट्रिक (bariatric) बाईपास सर्जरी हुई हो इन लोगों में पथरी बनने की ज्यादा संभावना होती है।

गुर्दे की पथरी kindey stone के लक्षण:

गुर्दे की पथरी एक आम समस्या है। इसके लक्षण व्यक्ति के शरीर और पथरी के आकार पर निर्भर करते हैं। कुछ लोगों में इसके लक्षण साफ़ नज़र आते हैं, जबकि कुछ लोगों में ये लक्षण कम महसूस किए जा सकते हैं। नीचे गुर्दे की पथरी के कुछ प्रमुख लक्षणों के बारे जानकारी गई है:

• पेशाब के दौरान दर्द: गुर्दे की पथरी के कारण व्यक्ति को मूत्रमार्ग में दर्द महसूस होता है। यह दर्द पथरी के आकार और स्थान के अनुसार अलग अलग होता है। इसी कारण से व्यक्ति को आम तौर पर पीठ, कमर, छाती और पेट में दर्द भी होता है।

• मूत्र विसर्जन में समस्याएं: रोगी को पथरी के कारण मूत्रमार्ग में रुकावट या बंदिश हो सकती है, जिससे रोगी को मूत्र आने में परेशानी हो सकता है।

• तेज दर्द महसूस होना: गुर्दे की पथरी के कारण रोगी को तेज दर्द महसूस होता है। इस दर्द में रोगी बेहोश भी हो सकता है।

• पेशाब में खून या मवाद आना: कभी कभी पथरी के कारण रोगी के मूत्र में खून और मवाद भी आ सकता है, जिसे हेमटूरिया कहा जाता है।

बुखार और उल्टी होना: गुर्दे की पथरी के कारण रोगी को ठंड के साथ बुखार और उल्टियां होने की संभावना रहती है।

• पेशाब का रंग बदलना: पथरी के कारण रोगी के पेशाब का रंग बदल जाता है। रोगी का पेशाब पीले या गहरे रंग का हो सकता है।

• बार बार पेशाब आना: पथरी के दौरान रोगी को बार बार पेशाब आने की समस्या रहती है, लेकिन वास्तव में रोगी को पेशाब नही आता है।

यदि आपको गुर्दे की पथरी के उपरोक्त लक्षण मिल रहे है, तो आपको तुरंत अपने चिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए।

गुर्दे की पथरी का kidney stone का आयुर्वेद उपचार:

आयुर्वेद में पथरी को “वृक्कश्मरि” या “अश्मरि” नाम से जाना जाता है और इसका आयुर्वेद में उपचार कई प्राकृतिक औषधियों और आयुर्वेदिक तकनीकों के माध्यम से किया जाता है। यहां हम आपको आयुर्वेदिक उपचारों के बारे में विस्तृत जानकारी दे रहे है:

• गोक्षुरादि चूर्ण: गोक्षुरादि चूर्ण का सेवन गुर्दे की पथरी के इलाज में लाभदायक साबित होता है। इसे पानी के साथ लेने से पथरी के टूटने में मदद मिलती है। यह चूर्ण गुर्दे में बनी पथरी को बाहर निकालने में सहायक होता है।

• पुनर्नवा: पुनर्नवा गुर्दे की पथरी के इलाज में उपयुक्त होता है। यह गुर्दे में बनी पथरी को तोड़ता है और उसे बाहर निकालने में मदद करता है।

• वासा: वासा या वासाकण्ठी गुर्दे की पथरी के उपचार में सहायक होता है। यह पथरी को तोड़ने में मदद करता है और गुर्दे में संक्रमण को भी कम करता है।

• धनुरासन (Dhanurasana) और पश्चिमोत्तासन (Paschimottanasana): योग आसन गुर्दे की पथरी के उपचार में भी सहायक होते हैं। धनुरासन और पश्चिमोत्तासन जैसे आसन गुर्दे के स्वस्थ रखने में मदद करते हैं और पथरी को बाहर निकालने में सहायक होते हैं।

• गौत्रिकदी चूर्ण: गौत्रिकदी चूर्ण गुर्दे की पथरी के उपचार में उपयुक्त होता है। इसे पानी के साथ लेने से पथरी को बाहर निकालने में मदद मिलती है।

• अश्वगंधा: अश्वगंधा गुर्दे की पथरी के इलाज में मददगार साबित होता है। यह गुर्दे के संक्रमण को रोकता है और पथरी को बाहर निकालने में मदद करता है।

• प्याज का सेवन: पथरी के रोगी को सफेद प्याज के रस का सेवन सुबह खाली पेट करने से पथरी टूट जाती है। आप कच्ची प्याज, खीरा और ककड़ी का सेवन भी लाभदायक होता है। 

• त्रिफला: त्रिफला गुर्दे की पथरी के इलाज में उपयुक्त होता है। यह गुर्दे की सेहत को सुधारता है और पथरी को बाहर निकालने में सहायक होता है।

• कुलत्थी का पानी: कुलत्थी के दाने को पानी में भिगोकर रखें और उसे सुबह को पीने से गुर्दे की पथरी में लाभ होता है।

• नीम के पत्ते: नीम के पत्ते का रस गुर्दे की पथरी के इलाज में उपयुक्त होता है। यह गुर्दे के संक्रमण को रोकता है और पथरी को बाहर निकालने में मदद करता है।

• पनीर दोहनी: गुर्दे की पथरी में पनीर के दोहनी का सेवन फायदेमंद होता है। यह गुर्दे के संक्रमण को रोकता है और पथरी को बाहर निकालने में मदद करता है।

• बथुआ या चौलाई का सेवन: पथरी की बीमारी में रोगी को बथुआ या चौलाई के साग को धोकर पानी में उबालें और इस उबले हुए पानी को कपड़े से छानकर इसमें कालीमिर्च , जीरा और थोड़ा सा सेंधा नमक मिला लें। फिर इस पानी का सेवन करें पथरी की बीमारी में लाभ मिलता है।

• चुकंदर का सेवन: पथरी के इलाज में रोगी को 100 ग्राम चुकन्दर लेकर उसको बारीक टुकड़ों में काटकर पानी में उबाल लेना चाहिए। उसके बाद इस पानी को हल्का गुनगुना होने के बाद पियें।

• गुड़हल के फूल: गुड़हल के फूल को गरम पानी में भिगोकर उसका पानी पीने से गुर्दे की पथरी में राहत मिलती है।

• जीरा पाउडर का सेवन: पथरी के रोगी को जीरा पाउडर को शहद के साथ लेने पर गुर्दे की पथरी बाहर निकल जाती है। 

• ब्रह्मी: ब्रह्मी गुर्दे की पथरी के इलाज में मददगार साबित होता है। यह गुर्दे के स्वस्थ रखने में मदद करता है और पथरी को बाहर निकालने में सहायक होता है।

• पत्थर चट्टा: पथरी के इलाज के लिए पत्थर चट्टा के पत्तों को  सुबह शाम खाली पेट सेवन करने से गुर्दे की पथरी बाहर निकलने में मदद मिलती है। हम इसके पत्तों का काढ़ा बनाकर भी सेवन कर सकते है।

• बर्बेरिस वल्गेरिस Q मदर टिंचर होम्योपैथी दवा: पथरी की बीमारी में होम्योपैथी की सबसे ज्यादा ज्यादा कारगर दवा  बर्बेरिस वल्गेरिस Q मदर टिंचर (Berberis – Vulgaris Q mother tincture) दवा की 10 से 15 बूंदे आधा गिलास  पानी में डालकर। इसका दिन में 3 से 4 बार सेवन करें। एक से दो माह में हमारी सभी पथरी  टूटकर मूत्र मार्ग के रास्ते बाहर निकल जायेगी।

• अंजीर: अंजीर का सेवन गुर्दे की पथरी के इलाज में उपयुक्त होता है। यह गुर्दे के संक्रमण को रोकता है और पथरी को बाहर निकालने में मदद करता है।

• अंशुलानी चूर्ण: अंशुलानी चूर्ण को गरम पानी के साथ लेने से गुर्दे की पथरी में लाभ होता है।

• खूब सारा पानी पिए: गुर्दे की पथरी के रोगी को खूब सारा पानी पीना चाहिए, अधिक मात्रा में पानी पीने से पेशाब में संक्रमण का खतरा कम होता है।

कृपया ध्यान दें कि यह आयुर्वेदिक उपचार आपके विशेष रोग और स्वास्थ्य स्तर पर आधारित होने चाहिए। इन उपायों को आयुर्वेद विशेषज्ञ की सलाह के साथ ही अपनाएं और खुद के उपचार के लिए सबसे उचित औषधियों और उपायों का चयन करें।

गुर्दे की पथरी kidney stone की बीमारी के लिए बचाव और सावधानियां।

गुर्दे की पथरी kidney stone की बीमारी को हम बचाव के और सावधानियों के द्वारा इसके खतरों को पहचान कर उचित समय पर इलाज कर सकते है। इसके बचाव और सावधानियां निम्नलिखित:

• पर्याप्त पानी का सेवन: दिन में कम से कम 8-10 गिलास पानी पीने से किडनी स्टोन के जोखिम को कम किया जा सकता है। यह यूरीनलाईटिक तंत्र को स्वच्छ और स्वस्थ रखता है।

• विटामिन सी से भरपूर आहार: विटामिन सी की भरपूर मात्रा वाले फल और सब्जियों का सेवन करने से किडनी स्टोन के जोखिम को कम किया जा सकता है।

• गुलाब के पानी का सेवन: गुलाबी पानी (पीले गुलाब के रंग का पानी) पीने से किडनी स्टोन के जोखिम को कम किया जा सकता है।

• नमक की मात्रा कम करें: ज्यादा नमक का सेवन किडनी स्टोन के बनने के जोखिम को बढ़ा सकता है। इसलिए, नमक की मात्रा को कम करें।

• कैफीन से बचें: कैफीन की खूबसूरती के पीछे छिपे हुए कारणों से भी किडनी स्टोन की समस्या हो सकती है, इसलिए कैफीन से बचें।

• अश्वगंधा का सेवन: अश्वगंधा की जड़ को पानी में भिगोकर पीने से किडनी स्टोन के जोखिम को कम किया जा सकता है।

• प्रोटीन का समझदारी से सेवन करें: प्रोटीन की भरपूर मात्रा लेने से बचें और इसका सेवन समझदारी से करें।

• नियमित व्यायाम करें: नियमित व्यायाम करने से किडनी स्टोन के जोखिम को कम किया जा सकता है।

• तल्ख और तीखे खाद्य पदार्थों से बचें: तल्ख और तीखे खाद्य पदार्थों का ज्यादा सेवन किडनी स्टोन को बढ़ा सकता है, इसलिए तल्ख और तीखे खाद्य पदार्थों से बचें।

• सॉफ्ट ड्रिंक का सेवन न करें: पथरी की बीमारी में रोगी को सॉफ्ट ड्रिंक का सेवन से बचना चाहिए।

• बीयर और शराब के सेवन से बचे: पथरी की बीमारी में रोगी को बीयर और शराब का सेवन नही करना चाहिए।

• खट्टे फलों और सब्जियों का सेवन: खट्टे फलों और सब्जियों का सेवन करने से किडनी स्टोन के जोखिम को कम किया जा सकता है।

• नारियल पानी का सेवन: नारियल पानी पीने से किडनी स्टोन के जोखिम को कम किया जा सकता है।

• विश्राम करें: दिनभर की थकान के बाद विश्राम करना किडनी स्टोन के जोखिम को कम कर सकता है।

• नियमित रूप से योग और प्राणायाम करें: योग और प्राणायाम करने से किडनी स्टोन के जोखिम को कम किया जा सकता है।

यहां दी गई बचाव और सावधानियां किडनी स्टोन से बचने में मदद कर सकती हैं। यदि आपको इस समस्या से जुड़े संकेत दिखाई दे रहे हैं, तो कृपया अपने आयुर्वेद विशेषज्ञ से परामर्श करें और उचित उपचार लेने का प्रयास करें। इसके अलावा, अपने चिकित्सक से सलाह लें और उनके निर्देशों का पालन करें।

एसपी सिंह चंद्रमा

एसपी सिंह चंद्रमा

अधिकतर मेरे लेख अपने आरोग्य को सुधारने, प्राकृतिक चिकित्सा और आयुर्वेद के अद्भुत फायदों पर आधारित होते हैं। मेरा उद्देश्य सामान्य लोगों को स्वस्थ और संतुलित जीवन जीने के लिए प्रेरित करना है और उन्हें शक्तिशाली आयुर्वेदिक उपचार और उपायों से अवगत कराना है। मेरे लेखों में आपको विशेषज्ञ सलाह और नैतिकता के साथ विश्वसनीय जानकारी मिलेगी जो आपके रोगों को दूर करने में मदद करेगी और आपको स्वस्थ और प्रकृति से समृद्ध जीवन जीने में सहायता करेगी। धन्यवाद।

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