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नीम खाने से क्या फायदे हो सकते है, इसके फायदे जानकर आपको हैरानी होगी:

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आज हम आपको नीम खाने के फायदों के बारे में जानकारी देने का प्रयास करेंगे, तो चलिए जानते है कि नीम खाने से क्या क्या फायदे है:

आप और हम नीम (azadirachta indica) के स्वाद से तो पूरी तरह से परिचित है। वैसे तो नीम वास्तविक स्वाद कड़वा होता है। नीम का आयुर्वेदिक और पारंपरिक चिकित्सा सहित अन्य शोध कार्यों के लिए बेहद फायदेमंद होता है। भारतीय वेद परंपरा में नीम का नाम “सर्व रोग निवराणी रखा गया है जिसका अर्थ होता है, सभी रोगों को रोकने वाला या निदान करने वाला”। नीम का वृक्ष जिस स्थान पर लगा हुआ होता है इस स्थान के आसपास का वातावरण सदैव शुद्ध रहता है। नीम की पत्तियां से लेकर टहनियां, छाल और बीज तक सब कुछ रोगों के निवारण में उपयोगी होता है। नीम अपने एंटीबायोटिक गुणों से युक्त होता है। अक्सर गांव के लोग इसकी टहनियों को दातून और इसकी पत्तियों का इस्तेमाल दवा बनाने के लिए करते है। इसके अतिरिक्त इसके बीज का भी इस्तेमाल औषधि के रूप में किया जाता रहा है।

हालांकि बहुत से लोग इसकी पत्तियों को कड़वाहट की वजह से अपने उपयोग में नही लेते है लेकिन इसका उपयोग हमारे आयुर्वेद में होता रहा है। आयुर्वेद के अनुसार नीम की पत्तियों को रोजाना सुबह खाली पेट सेवन करने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है साथ ही शरीर के विकार भी दूर होते हैं। नीम को  आयुर्वेद में एक चमत्कारिक जड़ी बूटी के रूप में भी जाना जाता रहा है। नीम का सेवन हमारे ब्लड को साफ करने और जहरीले तत्वों को बाहर निकालने में मदद करता है। नीम में के अंदर फंगस, वायरस और बैक्टीरिया से लड़ने के गुण विद्यमान होने साथ यह  एंटीकैंसर गुणों से युक्त भी होता है। नीम के पत्तों का उपयोग कुष्ठ रोग के निवारण सहित नेत्र विकार, नकसीर, आंतों के कीड़े, पेट की ख़राबी, भूख न लगना, त्वचा का अल्सर, हृदय और रक्त वाहिकाओं के रोगों (हृदय रोग), बुखार, मधुमेह, मसूड़ों की बीमारी (मसूड़े की सूजन) और जिगर के लिए किया जाता है।

इसके अतिरिक्त  नीम की छाल का उपयोग मलेरिया, पेट और आंतों के अल्सर, त्वचा रोग, दर्द और बुखार आदि रोगों को ठीक करने में किया जाता है। नीम के अंदर ऐसे रसायन गुण भी मौजूद होते है जिनके सेवन से रक्त शर्करा के स्तर को कम करने, पाचन तंत्र में अल्सर को ठीक करने, बैक्टीरिया को मारने और मुंह में प्लाक के निर्माण को रोकने में किया जा सकता है। एक शोध के अनुसार नीम के पत्तों का अर्क दांतों और मसूड़ों पर 45 दिन तक रोजाना लगाने से प्लाक यानी दांतों पर जमा मैल जमना कम हो सकता है। इसके सेवन से मुंह में मौजूद हानिकारक बैक्टीरिया समाप्त हो जाते है। 

नीम का सेवन करने के क्या क्या फायदे हो सकते है:

• शरीर से गंदगी को बाहर करें: नीम के अंदर एंटीफंगल और एंटीबैक्टीरियल गुण पाए जाते है। इसी के साथ इसमें विटामिन सी भी मौजूद होती है। नीम के सेवन से शरीर के अंदर मौजूद गंदगी( टॉक्सिंस) को बाहर निकालने में मदद मिलती है। नीम शरीर के खून को साफ करता है और  रक्त संचार को स्थिर रखता है। 

घाव को ठीक करने में सहायक: नीम में पाए जाने वाले एटीसेप्टिक गुणों  फोड़े- फुसियों और घाव जैसी   समस्याओं से बचाव किया जा सकता है। इसके लिए रोगी को  नीम के पत्ते, छाल और नीम के फलों को बराबर मात्रा में पीसकर इसका पेस्ट तैयार कर लेना चाहिए इसको फिर पीड़ित रोगी की त्वचा पर लगाना चाहिए, इसके उपयोग से फोड़े-फुंसियां और घाव आदि की समस्या से निजात मिल सकती है।

• रोग प्रतिरोधक प्रणाली को मजबूती प्रदान करना: नीम के सेवन से व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक प्रणाली को मजबूती मिलती है। नीम में एंटी बैक्टीरियल, एंटी फंगल और एंटीवायरल गुण संक्रमण फैलाने वाले बैक्टीरिया से लड़ते कर हमारी रक्षा करते है और हमको वायरल सर्दी खासी आदि से बचाव करने में हमारी मदद करते है।  

• पाचन तंत्र ठीक रखना: नीम के इस्तेमाल आ हमारे शरीर के पाचन तंत्र को मजबूती मिलती है। पाचन तंत्र से जुड़ी हुई समस्याओं को हल करने में मदद मिलती है। नीम की तासीर ठंडी होती है और यह एसिडिटी, सीने में जलन और पाचन तंत्र को सुधारने में एक प्रभावशाली औषधि मानी गई है। नीम की पत्तियों के सेवन से मनुष्य के पाचन तंत्र से हानिकारक विषाक्त पदार्थों को बाहर निकाल कर पेट से जुड़ी समस्याओं से निजात दिलाने में मददगार साबित होती है।

• दांतों की सड़न को रोकना: नीम की पत्तियां चिबाने से हमारे मुंह की सफाई होती है। नीम का सेवन दांत की सड़न और मसूड़ों में होने वाले संक्रमण को रोकने में मदद करता है।  

• शुगर (डायबिटीज) की बीमारी में राहत: नीम के पत्तों का सेवन शुगर (डायबिटीज) की बीमारी में बहुत लाभदायक सिद्ध होता है। एक वैज्ञानिक अध्ययन से ज्ञात हुआ है कि नीम के नए पत्तों को प्रतिदिन खाली पेट सेवन करने से शुगर (डायबिटीज) के रोगी को इंसुलिन की आवश्यकता को लगभग  50 प्रतिशत तक कम कर सकता है।

• लीवर की मजबूती के लिए: नीम के उपयोग से व्यक्ति का लीवर को मजबूती मिलती है।नीम की पत्तियां लीवर के काम को बेहतर तरीके से करने में मदद हैं और इससे आपके पाचन में सुधार होता है। रोजाना नीम चबाने से आपके पाचन तंत्र के सभी बैक्टीरिया मर जाते हैं और आपको पाचन मजबूत होता है। 

• त्‍वचा के लिए लाभदायक: नीम के एंटी-बैक्टीरियल गुण शरीर से हानिकारक टॉक्सिन्स को निकालते हैं। ये ब्‍लड को शुद्ध करते हैं और आपकी त्वचा को प्राकृतिक रूप से साफ करते हैं। नीम चबाने से आपकी त्वचा शुद्ध होती है और सुंदर दिखती है।

• बुख़ार में राहत: नीम के पत्तों का सेवन किसी भी तरह के बुखार जैसे डेंगू, मलेरिया आदि में बहुत फायदेमंद होते है। इसकी पत्तियों में विद्यमान गेंडनिन (gedunin) नाम का तत्व मलेरिया के तेज बुखार को कम करने में सहायक होता है।

• रक्त को साफ करने में सहायक: नीम में निम्बिन, क्वेरसेटिन नामक एंटी इंफ्लेमेटरी, एंटी फंगल और एंटी बैक्टीरियल सहित विटामिन सी के गुण इसमें पाए जाते है। इसके सेवन के द्वारा शरीर से टॉक्सिन्स बाहर निकलते है और शरीर में का रक्त फिल्टर करके डिटॉक्सीफाई करता है। इस तरह से खून की गन्दगी के कारण  त्वचा, बाल एवं अन्य प्रकार के संक्रमण का खतरा नहीं होता है। नीम के सेवन से हमारा ब्लड सर्कुलेशन भी ठीक रहता है जिसकी वजह से हमारे चेहरे की त्वचा में काफी ग्लो नजर आता है।

• यूटीआई के संक्रमण में लाभदायक: नीम के सेवन से  यूटीआई या अन्य योनि का संक्रमण संबधी बीमारी में लाभ होता है। 

नीम के सेवन में कुछ सावधानियां भी बरते:

• नीम का सेवन अधिकतम मात्रा न करें: नीम का अधिक मात्रा में सेवन से आपको नुकसान हो सकता है। जैसे कि त्वचा की सूजन या दांतों की समस्याएँ। इसलिए सावधानी से ही इसका सेवन करें।

• संवेदनशीलता: कुछ लोगों को नीम का सेवन करने से एलर्जी आदि की समस्या हो सकती है। इसलिए आपको नीम का सेवन शुरू करने से पहले एक छोटी मात्रा में परीक्षण करना चाहिए।

• गर्भवती महिलाएं को लिए डॉक्टर की सलाह: गर्भवती महिलाओं को डॉक्टर की सलाह पर ही नीम का सेवन करना चाहिए, क्योंकि इसका अधिक मात्रा में सेवन गर्भ के लिए हानिकारक हो सकता है।

• बच्चों के लिए सावधानी: छोटे बच्चों को नीम का सेवन कम मात्रा में करना चाहिए, और उनका सेवन डॉक्टर की सलाह पर करें।

• अन्य औषधियों के साथ मिक्चर: नीम का सेवन करते समय, आपको अन्य औषधियों के साथ मिक्चर से बचना चाहिए, क्योंकि इससे दुष्प्रभाव हो सकता है।

• नीम के तेल का सवाधानीपूर्वक उपयोग: नीम के तेल का अधिक सेवन त्वचा पर रुखापन या जलन का कारण बन सकता है, इसलिए इसका सही तरीके से उपयोग करें।

साफी का सेवन: यदि आप नीम का सेवन प्राकृतिक रूप से नही कर सकते है तो आप मेडिकल स्टोर से या फिर ऑनलाइन साफी का प्रयोग कर सकते है, इसके अंदर नीम के सभी गुण मौजूद होते है। इसके लगातार सेवन से आप उपरोक्त बीमारियों में लाभ ले सकते है। बाजार में कई तरह कंपनियों की साफी मौजूद है। जो सबसे ज्यादा बेस्ट हो आप उसका सेवन कर सकते है।

सुझाव: आपको नीम का सेवन मानव स्वास्थ्य के लिए उपयोगी हो सकता है, लेकिन इसे अधिक मात्रा में सेवन से बचना चाहिए और डॉक्टर की सलाह पर ही करना चाहिए, खासकर अगर आपके पास किसी प्रकार की बीमारी हो या आप गर्भवती हैं।

एसपी सिंह चंद्रमा

एसपी सिंह चंद्रमा

अधिकतर मेरे लेख अपने आरोग्य को सुधारने, प्राकृतिक चिकित्सा और आयुर्वेद के अद्भुत फायदों पर आधारित होते हैं। मेरा उद्देश्य सामान्य लोगों को स्वस्थ और संतुलित जीवन जीने के लिए प्रेरित करना है और उन्हें शक्तिशाली आयुर्वेदिक उपचार और उपायों से अवगत कराना है। मेरे लेखों में आपको विशेषज्ञ सलाह और नैतिकता के साथ विश्वसनीय जानकारी मिलेगी जो आपके रोगों को दूर करने में मदद करेगी और आपको स्वस्थ और प्रकृति से समृद्ध जीवन जीने में सहायता करेगी। धन्यवाद।

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