बवासीर (piles) अर्श या भगंदर यह बीमारी आजकल एक आम बीमारी हो चुकी है। यह बीमारी मुख्तत: कब्ज के कारण होता है। जिन लोगों को लंबे समय तक गैस या एसिडिटी की समस्या रहती है। उन लोगों को ज्यादातर यह बीमारी बनने की संभावना रहती है। यह बीमारी मुख्य रूप से दो तरह की होती है। खूनी बवासीर या बादी का बवासीर। इस बीमारी में रोगी का मल बहत कठनाई के साथ उतरता है। मल त्यागने के दौरान खून आना आम समस्या है। इस बीमारी में गुदा के आसपास की नसों में सूजन होती है। यह बीमारी लोगों को व्यापक तौर पर प्रभावित कर सकती है। बवासीर के लक्षण, कारण, और इसके आयुर्वेदिक उपचार निम्नवत: है।
बवासीर के लक्षण।
1. गुदा क्षेत्र में खुजली और जलन होना।
2. गुदा में दर्द होना।
3. गुदा क्षेत्र में रक्तस्राव (ब्लीडिंग) का होना।
4. गुदा क्षेत्र में गांठों का मौजूद होना।
बवासीर के कारण।
1. शरीर मे प्राकृतिक रूप परिवर्तनों के कारण रक्तसंचय होना।
2. एक स्थान पर अधिक समय तक बैठे रहना या अधिक समय तक खड़े रहना।
3. भारी वजन उठाना।
4. परिवार में बवासीर का पूर्ववर्ती परिवारिक इतिहास।
5. अधिक मात्रा में मांस का सेवन करना।
बवासीर का आयुर्वेदिक उपचार।
1. आयुर्वेदिक औषधियों का सेवन करें: अर्शकल्प वटी, त्रिफला चूर्ण, गुडूच्यादि आयुर्वेदिक औषधियां बवासीर के इलाज में लाभकारी होती हैं।
2. योग और प्राणायाम: प्राकृतिक रूप से प्रदान की जाने वाली योग और प्राणायाम तकनीकें गुदा स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद कर सकती हैं।
3. स्वच्छता का ध्यान रखें: गुदा क्षेत्र को साफ और स्वच्छ रखना बवासीर के उपचार में महत्वपूर्ण है।
बवासीर के बचाव।
1. स्वस्थ आहार: उचित और स्वस्थ आहार का सेवन करें, जिसमें फल, सब्जियां, अनाज, और पर्णीयां शामिल हों। शराब, तम्बाकू, चाय और कॉफी की मात्रा को न्यूनतम रखें।2. पानी पीएं: रोजाना पर्याप्त पानी पीना गुदा के स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद करता है।
3. व्यायाम करें: योग और व्यायाम करने से पेट साफ रहता है और बवासीर के जोखिम को कम करता है।
4. नियमित चेकअप: बवासीर के लक्षणों का समय पर पहचान और उपचार करना महत्वपूर्ण है।
बवासीर के संबंध में उपरोक्त जानकारी केवल जानकारी और जागरूकता के लिए है और यह विशेषज्ञ की सलाह के स्थान पर नहीं है। इसलिए, यदि आपको बवासीर के लक्षण दिखाई दे रहे हैं, तो कृपया एक प्रशिक्षित चिकित्सक से संपर्क करें और उनकी सलाह ले।