मानसिक तनाव या (Depression) यह एक प्रकार का मानसिक विकार है, जो मनुष्य की शारीरिक व मानसिक स्थिति में परिवर्तन उत्पन्न कर देता है। यह परिवर्तन मनुष्य में शरीर और मस्तिष्क में एक साथ पैदा नही होते है। तनाव को हम शारीरिक, रासायनिक या फिर भावनात्मक कारक के रूप में समझ सकते है। जब तनाव से मनुष्य के शरीर और मन में बेचैनी उत्पन्न हो जाए तो इस स्थिति में हम समझ सकते है कि उस मनुष्य को तनाव है। इस तरह का तनाव हमारे शरीर में रोग उत्पन्न करता है। तनाव से मनुष्य के शरीर में रासायनिक परिवर्तन पैदा होते है। इस तरह के कारक जैसे:- किसी प्रकार का सदमा या इमोशनल अघात होना, किसी बीमारी या संक्रमण का शिकार होना, किसी लाईलाज बीमारी का होना, किसी प्रकार की चोट लगना या कोई दुर्घटना घटित होना हैं। मनुष्य के जीवन में नकरात्मक और सकारात्मक घटनाएं घटित होती रहती है। इन्ही घटनाओं से मनुष्य भावनात्मक रूप से कभी दुखी और कभी बहुत खुशी महसूस करता है। जब कोई हमारा ऐसा कार्य जिसको हम अपने ह्रदय/दिल से चाहते है, किसी कारण से खराब हो जाए या बिजनेस में घाटा हो जाए या कोई अपना मनपसंद कार्य किसी कारणवश न हो पाए। इस तरह के कृत्यों से मनुष्य दुखी हो जाता है, यदि मनुष्य के जीवन में इसी तरह नकारात्मक कृत्य लगातार घटते रहे तो मनुष्य धीरे धीरे मानसिक तनाव की ओर चला जाता है। और अंत में वो मनुष्य मानसिक तनाव यानि (Depression) का शिकार होने लगता है। मनुष्य की इसी स्थिति को मानसिक तनाव या Depression कहते है।
मनुष्य द्वारा कम मात्रा में लिया गया दबाव या तनाव कभी-कभी फ़ायदेमंद होता है। उदाहरण के लिए कोई ऐसा प्रोजेक्ट या असाइन्मेंट को पूरा करते समय हल्का दबाव मसहूस करने से हम प्रायः अपने प्रोजेक्ट या असाइन्मेंट को अच्छी तरह से पूरा कर पाते हैं और काम करते समय हमारा उत्साह भी बना रहता है।
मानसिक तनाव के प्रमुख कारण।
• सर में दर्द का होना।
• लगातार उदासी महसूस करना।
• कार्य में मन न लगना।
• हर समय बिस्तर पर पड़े रहना।
• नींद न आना।
• भूख कम लगना।
• किसी की बातों को ध्यान से न सुनना।
• अपने ऊपर भरोसा न होना।
• खुद को दूसरों से कम आंकना।
• छोटी छोटी बातों पर जल्दी से गुस्सा या नाराज हो जाना।
• मन में खुद खुशी के बार बार ख्याल आना।
• बहुत कम बोलना।
• अपने आपको अकेला महसूस करना।
• दैनिक जीवन में अधिक भागदौड़ और अस्थिरता रहना।
• व्यवसाय या नौकरी को लेकर दवाब महसूस करना।
• व्यक्तिगत संबंधों में मधुरता न रहना।
• आर्थिक और वित्तीय समस्याएं होना।
• सामाजिक और राजनैतिक दबाव होना।
• वंशानुगत बीमारी होना।
• अधिक मात्रा में मदिरा का सेवन करना।
• पुरानी यादों को मन में रखना।
तनाव से होने वाली गंभीर बीमारियां।
• दिल की बीमारियां: तनाव के कारण हृदय संबंधी समस्याएं जैसे कि हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, हृदय अटैक आदि बीमारियां पैदा हो सकती हैं।
• मानसिक समस्याएं: तनाव अधिक होने से डिप्रेशन, अवसाद, अधिक तनाव, बिपोलर रोग, आदि जैसी मनसिक समस्याएं हो सकती हैं।
• डायाबिटीज: तनाव के कारण शरीर के इंसुलिन स्तर पर असर पड़ता है और इससे डायाबिटीज की समस्या हो सकती है।
• गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याएं: तनाव के कारण पेट में गैस, पेट दर्द, एसिडिटी, खट्टी डकारें, इत्यादि हो सकती हैं।
• वजन की बढ़त: तनाव के चलते कई लोग ओवरईट या ओबीसिटी की समस्या से ग्रस्त हो सकते हैं।
• नींद ना आना: तनाव के कारण नींद न आना या अनिद्रा की समस्या हो सकती है।
• हार्मोनल समस्याएं: तनाव से होने वाली अधिक छिपी हुई स्त्री या पुरुष हार्मोन के उत्पादन में असंतुलन हो सकता है।
• असामान्य मासिक धर्म: तनाव के कारण महिलाओं के मासिक धर्म की अनियमितता हो सकती है।
मानसिक तनाव का आयुर्वेदिक इलाज।
• आयुर्वेदिक दिनचर्या (Daily Routine): आयुर्वेद में दिनचर्या का बहुत महत्व माना जाता है। नियमित नींद लेना, समय पर उठना और दिनभर की गतिविधियों को सुसंगत अंतरालों में बांटना चिंता और तनाव को कम करने में मदद करता है।
• प्राणायाम और ध्यान: प्राणायाम और ध्यान चिंता और तनाव को कम करने में अत्यंत प्रभावी कारक हैं। अनुशासित श्वास-प्राणायाम और ध्यान से मन को शांति प्राप्त होती है और स्वास्थ्य भी सुधरता है।
• आयुर्वेदिक आहार: स्वस्थ आहार चिंता और तनाव को कम करने में सहायक होता है। स्वस्थ खान-पान, पौष्टिक और संतुलित आहार लेना चिंता और तनाव को दूर करने में मदद करता है।
• जीवन में सकारात्मक विचारों को प्रोत्साहित करें: आयुर्वेद में माना जाता है कि सकारात्मक विचार मन को शांत करते हैं और चिंता को कम करते हैं। योग्य संगत संवाद, संगीत, ध्यान और साथी या परिवार के साथ समय बिताना मन को शांत करने में मदद करता है।
• आयुर्वेदिक उपचारों का उपयोग: आयुर्वेद में विभिन्न रसायन, औषधि और आयुर्वेदिक चिकित्सा विधियों का उपयोग मनोरोग के इलाज में किया जाता है। विशेषज्ञ वैद्यों से सलाह लेना और संबंधित उपचार का प्रयोग करना फायदेमंद हो सकता है।
• आयुर्वेद मसाज और शरीर शुद्धि: आयुर्वेद में विभिन्न प्रकार के मसाज और शरीर शुद्धि के उपाय मनोरोग से निपटने में सहायक सिद्ध होते हैं।
• आयुर्वेद चिकित्सक से परामर्श: मानसिक स्वास्थ्य के लिए आयुर्वेदिक प्रकृति चिकित्सक से परामर्श लेना फायदेमंद हो सकता है। वे आपकी प्रकृति, दोष और विकृति को देखते हुए आपको उचित उपचार सुझा सकते हैं।
• स्वर्णप्राशन: स्वर्णप्राशन आयुर्वेद में मान्यता से युक्त रूप से प्रदान किया जाता है जो बच्चों के मानसिक और शारीरिक विकास को सुधारने में मदद करता है।
• आयुर्वेदिक ब्रह्मी: आयुर्वेदिक ब्रह्मी (Bacopa monnieri) में मौजूद ब्राह्मीनोसाइड्स मानसिक स्थिरता को बढ़ाने में सहायक होते हैं और चिंता और तनाव को कम कर सकते हैं।
• योगासन और आसन: नियमित योगासन और आसन आदि के अभ्यास से मन को शांति मिलती है और चिंता और तनाव बहुत दूर रहता है। प्राणायाम और ध्यान के साथ योग भी चिंता को कम करने में मदद कर सकता है।
• चिकित्सक से परामर्श: रोगी को अधिक मानसिक तनाव होने पर तुरंत मनोचिकित्सक के पास परामर्श हेतु ले जाना चाहिए।
तनाव से बचने के लिए योग, प्राणायाम, ध्यान, संतुलित आहार, नियमित व्यायाम, सोने की समय में ध्यान, समय-समय पर छुट्टी लेना, प्रिय गतिविधियों में समय बिताना, और साथ ही साथ परिवार और मित्रों के साथ समय बिताना फायदेमंद साबित हो सकता है।
कृपया ध्यान दें कि चिकित्सा के क्षेत्र में सलाह लेने से पहले एक प्रशिक्षित वैद्य से परामर्श करना अच्छा होगा। वे आपकी विशेष स्थिति के अनुसार उचित उपाय दे सकते हैं।
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