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चिकनगुनिया Chikungunya की बीमारी क्या है? इसके कारण, लक्षण और आयुर्वेदिक उपचार, बचाव और सावधानियां।

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हम आपको इस ब्लॉग पोस्ट में चिकनगुनिया Chikungunya की बीमारी क्या है? इसके कारण, लक्षण और आयुर्वेदिक उपचार, बचाव और सावधानियां के बारे में जानकारी देने का प्रयास करेंगे। ताकि आप लोग इस ब्लॉग पोस्ट को पढ़कर चिकनगुनिया Chikungunya की बीमारी से समय रहते हुए बचाव कर सकें। तो चलिए जानते है कि चिकनगुनिया Chikungunya की बीमारी क्या है?

चिकनगुनिया Chikungunya की बीमारी एक इंफेक्टेड मादा मच्छर (Aedes aegypti and Aedes albopictus) के काटने से होती है। यह बीमारी संक्रमित वायरल बीमारी है, जो संक्रमित मच्छरों द्वारा लोगों में प्रवेश कर फैलती है। यह बीमारी चिकनगुनिया वायरस के कारण होती है। इस बीमारी में रोगी को अचानक से बुखार और जोड़ों का दर्द होता है। यह बुखार और जोड़ों का दर्द रोगी को काफी गंभीर और दुर्बल करने वाला हो सकता है। यदि हम चिकनगुनिया Chikungunya की इतिहास के संबध में जानकारी करेंगे तो पाएंगे कि इसके नाम की उत्पत्ति तंजानिया देश की स्थानीय भाषा किमाकोंडे के एक शब्द हुई है। जिसका हिंदी अनुवाद “जो झुकता है” होता है। इस बीमारी में रोगी के जोड़ों में तेज दर्द होता है। चिकनगुनिया Chikungunya की बीमारी का सर्व प्रथम वर्णन सन 1952 में दक्षिणी तंजानिया में वायरस फैलने के दौरान प्रकाश में आया था। हालाँकि चिकनगुनिया Chikungunya की बीमारी इससे पहले अफ्रीका, एशिया, यूरोप सहित भारतीय और प्रशांत महासागर में स्थित देशों में भी पाई गई थी। चिकनगुनिया Chikungunya के वायरस का स्थानीय संचरण सर्व प्रथम वर्ष 2013 में कैरेबियन देश में मिला था। तब से, यह वायरस अमेरिका सहित भारत में लगातार फैल रहा है। इसका का प्रसार आमतौर पर घर के बाहर और दिन के समय में होता है। खासकर,सुबह या दोपहर बाद अंधेरा होने से पहले इस बीमारी के मच्छर बहुत ज़्यादा सक्रिय होते हैं और इसीलिए, इसी समय चिकनगुनिया बहुत तेज़ी से फैलता है। चिकनगुनिया Chikungunya की बीमारी में वायरल इंफेक्शन की पहचान तेज़ बुखार के साथ मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द के साथ की जाती है। इसके अलावा चिकनगुनिया Chikungunya की बीमारी में सिर दर्द होना, चक्कर आना, थकान होना और रैशेज़ जैसे अन्य लक्षण भी इस बीमारी को पहचान है। आमतौर पर इसके मच्छर के काटने के लगभग 3 से 7 दिनों के मध्य चिकनगुनिया Chikungunya बीमारी की शुरुआत होती है। वैसे अगर देखा जाए तो यह बीमारी कुछ दिनों के उपरांत अपने आप ही ठीक हो जाती है। बुज़ुर्गों या अन्य किसी प्रकार की बीमारी से ग्रस्त रोगियों के लिए यह बीमारी खतरनाक साबित हो सकती है। अभी तक बाजार में चिकनगुनिया Chikungunya की कोई वैक्सीन आदि नही बनी है। हालांकि, इस बीमारी का इलाज डॉक्टर्स/चिकित्सक द्वारा इसके लक्षणों आदि का आधार पर किया जाता है।

चिकनगुनिया Chikungunya की बीमारी के कारण:

चिकनगुनिया Chikungunya की बीमारी एक वायरल बीमारी है जो एडेस मॉस्किटो (Aedes mosquito) द्वारा होती है। यह मोस्किटो आमतौर पर दिन में सवेरे और शाम को ज्यादा सक्रिय रहता है, लेकिन यह रात में भी काट सकता है। इस वायरस से संक्रामित व्यक्ति के ब्लड में यह वायरस होता है, और जब यह मोस्किटो उस व्यक्ति को काटता है, तो यह वायरस दूसरे व्यक्ति में प्रवेश कर जाता है और वह भी संक्रमित हो जाता है। इस बीमारी के निम्नलिखित कारण हो सकते है:

• एडेस मॉस्किटो (Aedes mosquito) द्वारा काटे जाना: चिकनगुनिया का प्रमुख कारण एडेस मॉस्किटो (Aedes mosquito) के द्वारा काटे जाना होता है। जब एडेस मॉस्किटो संक्रमित व्यक्ति को काटता है, तो उस व्यक्ति में वायरस होता है, और जब यही मॉस्किटो दूसरे व्यक्ति को काटता है, तो वायरस उसके शरीर में प्रवेश कर जाता है।

• वायरस का संचार: चिकनगुनिया वायरस का संचार एडेस मॉस्किटो के जरिए होता है। यह मॉस्किटो जल, पानी और गंदे स्थलों में पाया जा सकता है, इसलिए गर्मियों और बरसात के मौसम में इसके संक्रमण का खतरा अधिक होता है।

• संक्रमित व्यक्ति से सम्पर्क: संक्रमित व्यक्ति के सम्पर्क में आने से और संक्रमण वाले स्थानों पर जाने, रहने और वहां की यात्रा करने से भी व्यक्ति इस वायरस का शिकार हो सकता है।

• कमज़ोर इम्यून सिस्टम: चिकनगुनिया की बीमारी के लिए हमारा कमज़ोर इम्यूनिटी सिस्टम भी जिम्मेदार हो सकता है।

• जल भराव: इस वायरस के लिए हमारे और आपके घर के आसपास लगातार जल का जमाव चिकनगुनिया की बीमारी का खतरा पैदा कर सकता है। 

• बुजुर्ग और बीमार लोगों को ज्यादा खतरा: इस वायरस से 62 वर्ष से अधिक उम्र के व्यक्ति, नवजात शिशु या छोटे बच्चे, डायबिटीज (शुगर) के रोगी, ब्लड प्रेशर (रक्त चाप) और हार्ट (दिल) की बीमारियों से ग्रस्त मरीज़ों को चिकनगुनिया होने का खतरा ज्यादा रहता है।

चिकनगुनिया Chikungunya की बीमारी के लक्षण:

चिकनगुनिया Chikungunya बीमारी के लक्षण अक्सर बुखार, शरीर में दर्द और संबंधित समस्याओं के साथ दिखाई देते हैं। यह लक्षण आमतौर पर बुखार के आरंभिक चरण में दिखाई देते हैं और वे अल्पकालिक हो सकते हैं। इसके अलावा, चिकनगुनिया के अन्य लक्षण निम्नलिखित हो सकते हैं:

• तेज बुखार: चिकनगुनिया के संक्रमण की बीमारी के दौरान व्यक्ति को तेज बुखार होता है, जिसमें तापमान लगभग 100 डिग्री फारेनहाइट से 103 डिग्री फारेनहाइट तक हो सकता है। 

• जोड़ों का दर्द: इस बीमारी में अधिकतर लोगों को शरीर के जोड़ों में तेज दर्द का अहसास होता है। यह दर्द खासकर घुटने, पैर, हाथ, कलाई, कंधे और पूरे शरीर के जोड़ों में महसूस होता है। यह दर्द इतना तेज होता है कि व्यक्ति को नियमित गतिविधियों को करने में भी दिक्कत हो सकती है।

• खांसी और ठण्ड: कुछ मरीजों को चिकनगुनिया के समय खांसी और ठंड की समस्या भी देखी गई है।

• त्वचा पर दाने: कुछ मरीजों को चिकनगुनिया के बाद या इसी समय त्वचा पर छोटे छोटे दाने हो सकते हैं।

• उल्टियां और पेट में समस्या: चिकनगुनिया के मरीजों को उल्टियां (वोमिटिंग) और पेट कब्ज या गैस आदि की समस्या हो सकती है।

• सिरदर्द: चिकनगुनिया के मरीजों को सिरदर्द की समस्या  हो सकती है।

यह लक्षण आमतौर पर चिकनगुनिया वायरस के संक्रमण के चार से पांच दिनों में दिखाई देते हैं और व्यक्ति को भारी बुखार और दर्द महसूस होता है। यदि आप इन लक्षणों को महसूस करते हैं, तो तुरंत चिकित्सा परामर्श के लिए अपने चिकित्सक से संपर्क करें।

चिकनगुनिया Chikungunya की बीमारी का आयुर्वेदिक उपचार:

हम चिकनगुनिया Chikungunya की बीमारी में  आयुर्वेदिक उपचार करके इस बीमारी से निजात पा सकते है। इसका आयुर्वेदिक उपचार निम्नलिखित रूप से हो सकता है:

• ज्वरनाशक औषधि: चिकनगुनिया में मरीजों को ज्वरनाशक औषधि का सेवन करना फायदेमंद होता है। गिलोय, तुलसी, अमृतारिष्ट, विश्वाभेषज और सुधाना वटी जैसी औषधियां ज्वर को कम करने में मदद करती हैं।

• विश्राम और हाइड्रेशन: चिकनगुनिया के समय शरीर को अधिक विश्राम की आवश्यकता होती है। धीरे-धीरे व्यायाम शुरू करना और संभव हो तो एक्सरसाइज से बचें। साथ ही, पर्याप्त पानी पिएं ताकि शरीर हाइड्रेटेड रहे।

• नीम और तुलसी: चिकनगुनिया वायरस से आए बुखार के लिए नीम और तुलसी के 10 से 15 पत्तों को पत्थर की सिलौटी पर अच्छी तरह से कूटकर इसकी चटनी बना लें, उसके बाद इसको किसी बर्तन में उबाल लें और उसकी मात्रा को आधा कर लें फिर उसको हल्का गुनगुना होने पर पी जाए।

• पौष्टिक आहार: चिकनगुनिया में पौष्टिक आहार का सेवन करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। सेवन करें: फल, सब्जियां, नट्स, अंडे, दही, खीर, विटामिन सी और विटामिन डी से भरपूर आहार। इससे शरीर की कमजोरी दूर होती है और शीघ्र सेहत को वापस पाने में मदद मिलती है।

• रसायन औषधि का सेवन: चिकनगुनिया के उपचार में रसायन औषधियों का सेवन फायदेमंद होता है। जैसे गिलोय का रस, अश्वगंधा, अमला, शतावरी जैसी रसायन औषधियों को लेने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और वायरस से लड़ने की शक्ति मिलती है।

• आयुर्वेदिक औषधियों का प्रयोग: आयुर्वेदिक चिकित्सक द्वारा निर्धारित औषधियों का सेवन करना चिकनगुनिया के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकता है। जैसे काली मिर्च, द्राक्षा, गोक्षुर, और त्रिफला जैसी औषधियां चिकनगुनिया बीमारी के लिए उपयुक्त हो सकती हैं।

• प्राकृतिक उपचार: चिकनगुनिया के इलाज के लिए कुछ प्राकृतिक उपचार भी आप अपना सकते हैं। गर्म तेल में लहसुन को तल कर उसके तेल को असरकारी जगह पर लगाने से राहत मिलती है। निम्बू का रस, अदरक का रस, नारियल पानी और गुड़ आपके स्वास्थ्य को बढ़ावा देते हैं और शरीर को ताकत देते हैं।

• पौष्टिक आहार: चिकनगुनिया के उपचार में पौष्टिक आहार का महत्वपूर्ण योगदान होता है। रोगग्रस्त व्यक्ति को पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन, विटामिन C, विटामिन D, और शरीर को ऊर्जा देने वाले भोजन का सेवन करना चाहिए।

• प्रतिरक्षा बढ़ाने वाले उपाय: चिकनगुनिया से बचाव के लिए प्रतिरक्षा बढ़ाने वाले उपायों का प्रयोग कर सकते हैं, जैसे कि आयुर्वेदिक रसायन योग और प्राकृतिक चिकित्सा उपचार।

• ध्यान रखें: चिकनगुनिया से ग्रस्त व्यक्ति को ध्यान देने की आवश्यकता होती है। विश्राम करें, अधिक पानी पिएं, पौष्टिक आहार लें, और अपने वैद्यकीय सलाहकार के साथ संपर्क में रहें।

• सबसे फायदेमंद आयुर्वेदिक उपचार: चिकनगुनिया वायरस के लिए तुलसी के पत्तों का काढ़ा बना लें फिर उसमें थोड़ी थोड़ी मात्रा मे नीम गिलोय, छोटी पीपर, सौंठ, काली मिर्च और हल्की मात्रा में इसमें गुड डालकर इसका काढ़ा बना लें इसको दिन तक पिए चिकनगुनिया की बीमारी में आराम मिलेगा।

यह आयुर्वेदिक उपाय चिकनगुनिया वायरस से बचने और इसके लक्षणों को कम करने में मदद कर सकते हैं। आपको यदि चिकनगुनिया के लक्षण आने लगें तो तुरंत विशेषज्ञ चिकित्सक से संपर्क करें और उचित इलाज कराएं। इस बीमारी से बचने के लिए समय रहते सही कदम उठाना अत्यंत महत्वपूर्ण है।

चिकनगुनिया वायरस से बचाव और सावधानियां निम्नलिखित हैं:

• टीका या दवाई: चिकनगुनिया एक वायरल इंफेक्शन होने के कारण इसका कोई विशेष टीका या दवाई नहीं उपलब्ध नही है।

• चिकनगुनिया का टेस्ट: इस बीमारी का पता लगाने के लिए एक साधारण सा ब्लड टेस्ट (CHIKV) करवाएं।

• ब्लड की जांच: चिकनगुनिया के लिए हमको एलिसा एंजाइम-लिंक्ड इम्युनोसॉरबेंट परीक्षण (ELISA (Enzyme-linked immunosorbent assays) करवाना चाहिए।

• शरीर में एंटी-बॉडीज़ की जांच: हमारे शरीर में चिकनगुनिया से लड़ने वाली एंटी-बॉडीज़ (इम्युनोग्लोबुलिन एम और इम्युनोग्लोबुलिन जी) की जांच करवाएं।

• चिकनगुनिया बीमारी के अधिकतर मामलों में रोगी, लगभग एक सप्ताह के अंदर स्वयं ठीक हो जाता है।

दर्द निवारक टेबलेट: चिकनगुनिया Chikungunya वायरस के प्राथमिक उपचार के लिए सूजन, बुखार और दर्द निवारक (Pain killer) उपचार की सलाह दी जा सकती है।

• इस बीमारी में रोगी के जोडों में दर्द की समस्या कुछ दिन या कुछ महीनों तक लगातार बनी रह सकती है।

• तरल पदार्थ: चिकनगुनिया Chikungunya वायरस से पीड़ित रोगी को ज्यादा मात्रा में तरल पदार्थों liquids का सेवन चाहिए और भरपूर आराम full rest करना चाहिए।

• भरपूर पानी पिएं: Chikungunya वायरस से पीड़ित व्यक्ति के शरीर में पानी की कमी हो जाती है, इसलिए रोगी को पर्याप्त मात्रा में पानी पीना चाहिए और इसके साथ ही बीच बीच में सूप, छाछ, नींबू पानी और नारियल पानी आदि जैसे हेल्दी तरल पदार्थों का सेवन चाहिए।

• विटामिन-सी युक्त फल: इस बीमारी में रोगी को विटामिन- सी युक्त फल जैसे संतरा, अमरूद और नींबू आदि का सेवन करना चाहिए, इससे आपके इम्यून सिस्टम मजबूत होगा और वायरस के इंफेक्शन से लड़ने में मदद मिलेगी।

• पोष्टिक सब्ज़ियां: इस बीमारी के लिए आवश्यक पोषक तत्वों से भरपूर सब्जियों का सेवन करना चाहिए। गरिष्ट भोजन करने से बचें। 

• मच्छर और कीटाणु नियंत्रण: चिकनगुनिया वायरस एक मच्छरों द्वारा फैलने वाली बीमारी है, इसलिए यदि आप एक ऐसे क्षेत्र में रहते हैं जहां मच्छर और कीटाणु प्रचुर मात्रा में होते हैं, तो उनसे बचने के लिए उचित उपाय अपनाएं। मच्छरों से बचने के लिए अपने आसपास पानी इकट्ठा न होने दें।

• शरीर पर पूरे कपड़े पहने: चिकनगुनिया वायरस मच्छर के द्वारा फैलता है, इसलिए अपने शरीर पर फूल कपड़े पहने। 

• बीमारी के लक्षणों का ध्यान रखें: चिकनगुनिया के लक्षणों को पहचानना बहुत जरूरी है।यदि आपको उच्च बुखार, जोड़ों में दर्द, आँखों के सामने छाया या धुंधला दिखाई देने की समस्या होती है, तो तुरंत अपने चिकित्सक या वैद्यकीय से संपर्क करें।

• विश्राम: चिकनगुनिया के दौरान शरीर को पूरी तरह से आराम देने अत्यंत आवश्यक है।

चिकनगुनिया से बचने और इसका सही उपचार करने के लिए उपरोक्त सावधानियों को अपनाएं और अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखें। यदि आपको इस बीमारी के लक्षण दिखाई दें, तो तुरंत चिकित्सक या वैद्यकीय सलाह अनुसार उपचार करवाएं।

एसपी सिंह चंद्रमा

एसपी सिंह चंद्रमा

अधिकतर मेरे लेख अपने आरोग्य को सुधारने, प्राकृतिक चिकित्सा और आयुर्वेद के अद्भुत फायदों पर आधारित होते हैं। मेरा उद्देश्य सामान्य लोगों को स्वस्थ और संतुलित जीवन जीने के लिए प्रेरित करना है और उन्हें शक्तिशाली आयुर्वेदिक उपचार और उपायों से अवगत कराना है। मेरे लेखों में आपको विशेषज्ञ सलाह और नैतिकता के साथ विश्वसनीय जानकारी मिलेगी जो आपके रोगों को दूर करने में मदद करेगी और आपको स्वस्थ और प्रकृति से समृद्ध जीवन जीने में सहायता करेगी। धन्यवाद।

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