iHerb WW
Search
Close this search box.

Infection (संक्रमण) क्या है? इसका आयुर्वेदिक उपचार, बचाव और सावधानियां।

Healthkart [CPS] IN

आज हम इस ब्लॉग पोस्ट में आपको Infection (संक्रमण) क्या है? और इसका आयुर्वेदिक उपचार, बचाव और सावधानियों के संबंध में जानकारी देंगे। Infection को हिंदी भाषा मे (संक्रमण) कहते है। ज्यादातर रोगों का मूल कारण Infection (संक्रमण) ही होता है। हमारे शरीर में Infection के द्वारा खतरनाक बैक्टीरिया (bacteria) या जीवाणु को प्रवेश करने का मौका मिलता है, जब हमारे शरीर के भीतर Infection (संक्रमण) की संभावना बढ़ती है तो, इसी Infection (संक्रमण) के कारण शरीर के अंदर घातक बीमारियों को पनापने का अवसर मिलता है। ये बैक्टीरिया या जीवाणु मुख्य रूप से परजीवी होते हैं। जिनको जीवित रहने के लिए किसी दूसरे जीव के शरीर की आवश्यकता होती है। इसके माध्यम से यह दूसरे जीवों के शरीर में प्रवेश कर प्रजनन करने, अपने साम्राज्य को स्थापित करके अपना आवास बनाने का अवसर मिलता है। फिर यही हानिकारक जीव बाद में लगभग सभी तरह के रोगों को पैदा करने लिए जिम्मेदार होते है। यह जीव अत्यंत कुशल, शरीर अपनाने और अपनी संख्या तेजी से बढ़ाने वाले होते हैं। बैक्टीरिया, वायरस, फंगस आदि मिलकर हमारे शरीर में अनेकों प्रकार के Infection (संक्रमण) का निर्माण करते हैं। कुछ Infection (संक्रमण) हल्के प्रकार के होते हैं। जिनसे जीवन के लिए कोई खतरा नहीं होता है। कुछ Infection (संक्रमण) गंभीर और घातक होता है, जो जीवन के लिए बहुत घातक और खतरनाक होते है।

Infection एक संक्रमण होता है जो वायरस, बैक्टीरिया, फ़ंगस, एलर्जी या अन्य कीटाणुओं द्वारा उत्पन्न होता है। ये संक्रमण संपूर्ण मानव जगत में विभिन्न प्रकार के वायरस से हो सकते हैं। Infection के विभिन्न प्रकार निम्नलिखित हैं:

1. वायरल इंफेक्शन: वायरस द्वारा होने वाले संक्रमण को वायरल इंफेक्शन कहा जाता है। यह वायरस एक सूक्ष्म जीवाणु होते हैं, जो आगे चलकर आमतौर पर सामान्य सर्दी और फ्लू समेत कई साधारण रोगों के कारण बनते हैं। कुछ वायरल इंफेक्शन की उदाहरण जैसे: कोविड-19 (कोरोनावायरस), इंफ्लुएंजा (फ्लू), डेंगू, चिकनगुनिया आदि है।

2. बैक्टीरियल इंफेक्शन: बैक्टीरिया द्वारा होने वाले संक्रमण को बैक्टीरियल इंफेक्शन कहा जाता है। बैक्टीरिया से होने वाले संक्रमण को अनेक रूपों में देखा जा सकता है, जिनमें से कुछ बुखार, गले में दर्द, खांसी, या पेट की बीमारियां आदि बीमारियां शामिल हैं।

3. फंगल इंफेक्शन: फ़ंगस द्वारा होने वाले संक्रमण को फंगल infection (संक्रमण) कहा जाता है। ये infection (संक्रमण) त्वचा, नाखून, दाढ़ी या दाढ़ी के अंदर, पेट पर, योनि, या मुंह आदि में हो सकते हैं। फंगल infection (संक्रमण) के उदाहरण जैसे खुजली, दाद आदि है।

5. प्रोटोजोअल संक्रमण (Protozoal Infections): प्रोटोजोअविरों द्वारा होने वाले संक्रमण को प्रोटोजोअल संक्रमण कहा जाता है। मलेरिया इसका उदाहरण है।

Infection (संक्रमण) का आयुर्वेदिक पद्धति से उपचार।

आयुर्वेद में Infection (संक्रमण) के उपचार के लिए कई प्राकृतिक तरीके हैं, जिनके उपयोग को निम्नलिखित रूप में समझा जा सकता है:

1. हरिद्रा (हल्दी): हरिद्रा में प्राकृतिक एंटी-इन्फ्लेमेट्री और एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं, जो Infection (संक्रमण) के इलाज में मदद करते हैं। रात को सोने से पहले शुद्ध हल्दी का पाउडर एक गिलास गरम दूध में आधा चम्मच हल्दी पाउडर मिलाकर सेवन से शरीर को अनेकों बीमारियों में लाभदायक होता है। इस विधि को लगातार अपनाने से हमारे शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है। 

2. तुलसी (ओसिमुम सैंक्टम): तुलसी में विषाणुनाशक गुण होते हैं जो संक्रमण को रोकने में मदद करते हैं। तुलसी की चाय बनाकर रोजाना पीना फायदेमंद है और तुलसी के पत्तों को साफ पानी में धोने के उपरांत सुबह शाम प्रयोग करने से सर्दी जुकाम और खांसी में लाभ मिलता है।

3. आमला (एम्बिका ऑफिसिनालिस): आमला विटामिन सी का अच्छा स्त्रोत है जो इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाता है और इंफेक्शन से लड़ने में मदद करता है। हम आमला का मुरब्बा भी इस्तेमाल कर सकते है। मुराब्बे से शरीर को अनेकों लाभ मिलते है।

4. गिलोय (टिनोस्पोरा कोर्दिफोलिया): गिलोय भारतीय आयुर्वेद में एक महत्वपूर्ण औषधि है जो इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने और संक्रमण के खिलाफ लड़ने में मदद करती है। गिलोय का रस और काढ़ा पीने से शरीर में कई बीमारियां समाप्त होती है।

5. अदरक (Ginger): अदरक का प्रयोग कई रोगों में लाभदायक होता है। अदरक एक महत्वपूर्ण औषधि है। जिसको खाने से खांसी नजला जुकाम और पेट संबंधी रोगों में लाभ मिलता है।

6. शहद (हनी): शहद को प्राकृतिक एंटीबैक्टीरियल गुणों के कारण खांसी और सर्दी सहित शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को सुधारने में मदद करते हैं। शहद त्वचा और कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी में लाभदायक होता है।

7. लहसुन (Garlic): लहसुन (Garlic) एक प्राकृतिक जड़ी-बूटी है जो प्याज के परिवार में आती है। लहसुन में एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं जो सर्दी और खांसी से राहत प्रदान करते हैं। यह वायुसंक्रमण के इलाज में भी मदद कर सकता है।, हृदय स्वास्थ्य: लहसुन में प्याज और गाजर से मिलकर हृदय स्वास्थ्य को सुधारने में मदद करने वाले गुण होते हैं। यह रक्तचाप को नियंत्रित कर सकता है और हृदय रोगों की संभावना को कम कर सकता है।, डायबिटीज का नियंत्रण: लहसुन में एंटीऑक्सिडेंट गुण होते हैं जो रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में मदद कर सकते हैं। इससे डायबिटीज के लक्षणों को कम किया जा सकता है।, डिजेस्टिव स्वास्थ्य: लहसुन में पाचन सुधारक गुण होते हैं जो पाचन तंत्र को सुधार सकते हैं और अपच को दूर करते हैं।, रक्त संचयन को कम करें: लहसुन में एंटीकॉगुलेंट गुण होते हैं जो रक्त के थक्के बनने को रोक सकते हैं और रक्त संचयन को कम कर सकते हैं।, नपुंसकता: लहसुन का सुबह खाली पेट 1 से 3 कली पानी के साथ सेवन करने से व्यक्ति की नपुंसकता दूर हो जाती है।

Infection (संक्रमण) से बचाव और सावधानियां।

Infection (संक्रमण) एक ऐसी स्थिति है जब शरीर में किसी विषाणु, जीवाणु, फंगस, या पैराजीवी संबंधी मिक्रोबियल के प्रवेश से रोगाणु विकसित होते हैं। यह  मिक्रोबियल अणु शरीर के अंदर विकसित होकर संक्रमण के कारण विभिन्न रोगों को पैदा कर सकते हैं। संक्रमण को रोकने और संक्रमण से बचाव के लिए कुछ महत्वपूर्ण सावधानियां निम्नलिखित हैं:

1. हाथ धोना: अपने हाथों को नियमित रूप से साबुन और पानी से धोना और अल्कोहल आधारित हैंड सैनिटाइजर का उपयोग करना संक्रमण से बचाव के लिए महत्वपूर्ण है।

2. उचित खान-पान: स्वस्थ और सुरक्षित खान-पान के लिए सब्जी, फल, दाल, अंडे, मांस, और दूध जैसे ऊर्जा से भरपूर आहार का सेवन करें। साफ पानी पीने का ध्यान रखें और बाजार से आयताकार खाद्य पदार्थों का इस्तेमाल कम करें।

3. फेस मास्क पहनना: संक्रमण फैलने से बचने के लिए अपने नाक और मुंह को ढकने के लिए फेस मास्क पहनना अच्छा विकल्प है।

5. स्थानीय आयुर्वेदिक उपाय: अदरक, तुलसी, नीम, लहसुन, और त्रिफला जैसी आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों का सेवन करके इम्यून सिस्टम को सुधारा जा सकता है।

4. संतुलित व्यायाम: नियमित व्यायाम करना और स्वस्थ रहने के लिए अपनी इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने में मदद करता है।

6. स्वच्छता: अपने आस-पास के वातावरण को स्वच्छ और सैन्येटाइज करने का ध्यान रखें। आवासीय इलाकों को सफाई और धूप के अधिकतम उपयोग के लिए वेंटिलेशन के साथ खुले हवा में रखने का प्रयास करें।

7. संबंधित लक्षणों का सावधानी से ध्यान रखना: यदि आपको किसी विशेष संक्रमण के लक्षण जैसे बुखार, सांस लेने में तकलीफ, साइनस या गले की समस्या हो, तो तुरंत चिकित्सक से परामर्श करें।

हमने आपको इस ब्लॉग आर्टिकल में infection संक्रमण क्या है? इसका आयुर्वेदिक उपचार, बचाव और सावधानियों से परिचय करवाने का प्रयास किया है। यदि आपको किसी infection (संक्रमण) से जुड़ी समस्या हो, तो अपने चिकित्सक से संपर्क करके सही उपचार लेना अनिवार्य है। संक्रमण से बचने के लिए उपरोक्त उपायों का पालन करें।

एसपी सिंह चंद्रमा

एसपी सिंह चंद्रमा

अधिकतर मेरे लेख अपने आरोग्य को सुधारने, प्राकृतिक चिकित्सा और आयुर्वेद के अद्भुत फायदों पर आधारित होते हैं। मेरा उद्देश्य सामान्य लोगों को स्वस्थ और संतुलित जीवन जीने के लिए प्रेरित करना है और उन्हें शक्तिशाली आयुर्वेदिक उपचार और उपायों से अवगत कराना है। मेरे लेखों में आपको विशेषज्ञ सलाह और नैतिकता के साथ विश्वसनीय जानकारी मिलेगी जो आपके रोगों को दूर करने में मदद करेगी और आपको स्वस्थ और प्रकृति से समृद्ध जीवन जीने में सहायता करेगी। धन्यवाद।

Oziva [CPS] IN

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Oziva [CPS] IN
Kapiva [CPS] IN