आज कल के बदलते मौसम में आई फ्लू वायरस (एडीनोवायरस) तीव्र गति से फैल रहा है। आई फ्लू वायरस एक संक्रामक बीमारी है। इस बीमारी में सबसे ज्यादा रोगी की आंखें प्रभावित होती है। इस बीमारी मे रोगी को आंख की झिल्ली में सूजन एव लालिमा आ जाती है, जो आंख के अग्रिम भाग को ढक कर रखती है। इस बीमारी के वायरस को कंजक्टिवाइटिस के नाम से भी जाना जाता है। यह रोग इन्फेक्शन और एलर्जी पैदा करने वाले वायरस के कारण होता है। इस रोग में एडीनोवायरस, हर्पीस, सिंपल्स वायरस, मिक्सोवायरस और पोल्स नमक वायरस होते है। वैसे तो आई फ्लू किसी भी उम्र के व्यतियों में हो सकता है, लेकिन ज्यादातर यह वायरस सबसे ज्यादा बच्चों को प्रभावित करते हुए देखा गया है।
आई फ्लू वायरस के लक्षण।
संक्रमित आंख को अपनी उंगली से छूते हैं, तो आपकी उंगली वायरस से संक्रमित हो जाती है। उसके बाद यदि ये उंगलियां किसी स्वस्थ आंखों या आंखों के आस-पास की जगह को छू लेती हैं, तो उनमें भी आई फ्लू हो जाता है। आई फ्लू से होने वाले लक्षण निम्नप्रकार है:
• आंख में लालिमा उत्पन्न होना।
• आंख से लगातार पानी बहना।
• आंख में जलन होना।
• आंख से धुंधला दिखाई देना।
• रोगी को रोशनी के प्रति असंवेदनशीलता महसूस होना।आई फ्लू वायरस से बचाव।
• आई फ्लू वायरस से संक्रमित व्यक्ति को स्वच्छता का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
• संक्रमित व्यक्ति को नियमित रूप से हाथ धोने चाहिए।
• संक्रमित व्यक्ति को बिना धोए अपने हाथों से आंखों को छूना नही चाहिए।
• रोगी को बार बार अपनी आंखों को नही मलना चाहिए।
• संक्रमित व्यक्ति को शीतल जल से अपनी आंखों को कुछ समय अंतराल पर धोते रहना चाहिए।
• आई फ्लू से संक्रमित व्यक्ति को अन्य स्वस्थ व्यक्तियों से उचित दूरी बनाकर रखनी चाहिए ताकि अन्य स्वस्थ व्यक्ति संक्रमित न हो पाए।
• आई फ्लू से पीड़ित व्यक्ति को अपने उपचार में चिकित्सक की सलाह से कोई आई ड्रॉप (आंख में डालने वाली दवा) का इस्तेमाल करना चाहिए। इस आई ड्रॉप की सहायता से आंख की सूजन तथा जलन को कम किया जाता है।
• आई फ्लू वायरस से प्रभावित रोगी दो से तीन दिन उपरांत स्वय ठीक हो सकता है।
आई फ्लू वायरस का आयुर्वेदिक इलाज।
1. गिलोय (अमृता) का काढ़ा: गिलोय एक प्राकृतिक औषधि है जो शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को सुधारती है। इसके पत्तों का काढ़ा बनाकर पीने से आई फ्लू वायरस से बचाव संभव है।
2. तुलसी के पत्ते: तुलसी के पत्ते में एंटीवायरल गुण होते हैं जो आई फ्लू वायरस को खत्म करने में मदद करते हैं। तुलसी के पत्तों का रस और शहद मिश्रित पानी पीने से आई फ्लू वायरस में लाभ मिलता है।
3. हल्दी: हल्दी में कुर्कुमिन नामक एक गुण होता है जो एंटीवायरल और एंटीबैक्टीरियल होता है। हल्दी को गर्म दूध में मिलाकर पीने से आई फ्लू वायरस से बचाव किया जा सकता है।
4. अदरक: अदरक में एंटीवायरल गुण होता है जो आई फ्लू वायरस के खिलाफ लड़ने में मदद करता है। अदरक का रस और शहद का सेवन आई फ्लू वायरस के साथ साथ खांसी और जुकाम के लक्षणों को भी कम करता है।
5. त्रिफला चूर्ण: त्रिफला चूर्ण एक प्राकृतिक औषधि है जो शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को सुधारती है। इसे दूध के साथ लेने से शरीर का श्वासनली प्रणाली मजबूत होती है।
इन उपायों के साथ-साथ, आपको स्वस्थ भोजन, पर्याप्त आराम और स्वच्छता का ध्यान रखना भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। अगर आपको आई फ्लू वायरस के लक्षण दिखाई देते हैं, तो तुरंत चिकित्सक से संपर्क करें और उनके निर्देशानुसार उपचार करें। साथ ही, अपने आस-पास के लोगों के साथ संपर्क से बचें ताकि आप अन्य लोगों को भी संक्रमित न करें।
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bahut badhiya Sir👍