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अस्थमा (Asthma) क्या है? इसके कारण, लक्षण और इसका आयुर्वेदिक उपचार, बचाव तथा सावधानियां:

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आज हम इस ब्लॉग आर्टिकल में आपको अस्थमा (Asthma) क्या है? इसके कारण, लक्षण और इसका आयुर्वेदिक उपचार, बचाव तथा सावधानियां के संबध जानकारी देने का प्रयास करेंगे तो चलिए जानते है कि अस्थमा (Asthma) क्या है?  

अस्थमा(Asthma) की बीमारी क्या होती है?

अस्थमा (Asthma) की बीमारी को दमा या सांस की बीमारी भी कहते हैं। इस बीमारी में व्यक्ति की सांस फूलने लगती है। फेफड़ों में बहुत से छोटे- छोटे वायुमार्ग होते हैं, यह वायुमार्ग वातावरण की हवा से ऑक्सीजन को लेकर हमारे ब्लड में पहुंचाने में हेल्प करते हैं। हमारे शरीर में अस्थमा के लक्षण तब दिखते हैं, जब हमारे वायुमार्ग की परतों में सूजन आ जाती है और हमारे गले के आसपास की मांसपेशियों में तनाव उत्पन्न हो जाता है। इसके बाद शरीर का बलगम हमारे वायुमार्गों में भर जाता है। इसी कारण से हमारे शरीर के वायुमार्ग से गुजरने वाली हवा की मात्रा में कमी आ जाती है। इसी वजह से रोगी को खांसी और छाती में जकड़न महसूस होती है। यह स्थिति जब भी पैदा हो सकती है जब व्यक्ति की सांस की नलियों में इंफेक्शन के कारण खराबी आ जाती है या फिर उसके फेफड़ों की सांस नली पतली हो जाए तो उस व्यक्ति को सांस लेने में काफी तकलीफ होती है, इस व्यक्ति का बार बार सांस फूलने लगता है। इस सांस फूलने की बीमारी को ही अस्थमा या दमा की बीमारी कहा जाता है। 

अस्थमा की बीमारी में कभी कभी रोगी को दौरे भी पड़ने की शिकायत देखने को मिलती हैं। यदि रोगी इस बीमारी से ज्यादा प्रभावित है तो इस स्थिति में रोगी को अपने साथ हमेशा इनहेलर (inhaler) रखना चाहिए है। इस रोग से पीड़ित व्यक्ति को इनहेलर (inhaler) से तुरंत राहत मिलती है। यदि रोगी इनहेलर का प्रयोग करना बंद कर दें या इस्तेमाल करना कम कर दे, तो  अस्थमा के रोगी के लिए यह स्थिति बहुत ही खतरनाक साबित हो सकती हैं।  

अस्थमा वैसे तो एक गंभीर बीमारी है, यदि यह बीमारी एक बार किसी व्यक्ति को हो जाए तो यह ताउम्र उस उस व्यक्ति को बनी रह सकती है। वास्तव में यह एक तरीके की लाइलाज बीमारी है, लेकिन कुछ दवाओं और सावधानियां के जरिए हम इस बीमारी पर नियंत्रण कर सकते हैं, परंतु इससे पूरी तरह छुटकारा पाना या ठीक करना थोड़ा मुश्किल होता है। 

एक सर्वे के अनुसार दुनिया में तकरीबन 34 करोड़ से अधिक लोग अस्थमा की बीमारी से पीड़ित हैं। इसी कारण से इस बीमारी से पीड़ित व्यक्तियों की प्रत्येक वर्ष लगभग ढाई लाख मौत होती है। इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति को दौरे पड़ते हैं और इसके साथ-साथ उसे बहुत ज्यादा तकलीफ महसूस होती है। यह तकलीफ इतनी ज्यादा होती है कि पीड़ित रोगी दो कदम ठीक से चल भी नहीं सकता। चलने पर व्यक्ति की सांस फूलने लगती है। यह बीमारी सर्दी के मौसम में और ज्यादा गंभीर रूप ले लेती है।   

 अस्थमा की बीमारी का क्या कारण है:

अब हम आपको अस्थमा की बीमारी का क्या कारण है। इसके बारे में जानकारी देने का प्रयास करेंगे।

तो चलिए जानते है कि अस्थमा की बीमारी के क्या कारण है:

अस्थमा एक प्रकार की फेफड़ों की बीमारी होती है जिसमें फेफड़ों के बंद हो जाने से श्वास लेने में मुश्किल होती है। इसकी वजह से व्यक्ति को सांस लेने में दुखिनी होती है और इसके कई कारण हो सकते हैं। निम्नलिखित हैं अस्थमा के प्रमुख कारण:

• आनुवंशिक: यदि परिवार में अस्थमा के मरीज हैं, तो आपकी भी अस्थमा होने की संभावना बढ़ जाती है।

• एलर्जिक प्रतिक्रिया: कुछ लोगों को विभिन्न प्रकार की एलर्जी होती है, जैसे की पोलिन, धूल, कीटाणु, या घरेलू जानवरों के कीट। ये एलर्जी अस्थमा के लिए महत्वपूर्ण कारण हो सकती हैं।

• धूम्रपान: सिगरेट या अन्य धूम्रपान करने वाले लोगों में अस्थमा की संभावना बढ़ जाती है, और इसे नियंत्रित करना मुश्किल हो सकता है।

• वायु प्रदूषण: जलवायु में धूल, तेल की बूंदें, और वायुमंडलीय प्रदूषण के लक्षण अस्थमा को बढ़ा सकते हैं।

• पक्षियों के पंखों से बनी हुई रजाई: पक्षियों के पंखों से बनी हुई रजाई आदि से निकलने वाले रेशे या गर्दा के कारण भी अस्थमा या सांस को बीमारी हो सकती है।

• इंफेक्शन: कुछ संक्रामक बीमारियाँ, जैसे कि सर्दी-जुकाम या प्नेमोनिया, अस्थमा को बढ़ा सकती हैं।

• व्यायाम में अत्यधिक कठिनाई: अत्यधिक शारीरिक व्यायाम करना भी अस्थमा को बढ़ावा देने का कारण बन सकता है।

• रूई की धुनाई व बुनाई:  रूई की धुनाई व बुनाई करते समय इससे निकलने वाली धूल या गर्दा के कारण भी अस्थमा हो सकता है।

• रूटीन की कमी: नियमित नींद और पूर्ण आहार की कमी भी अस्थमा के लिए एक कारण हो सकती है।

• देखभाल की कमी: कुछ लोग अपनी सेहत की सही देखभाल नहीं करते, जिससे उन्हें अस्थमा हो सकता है।

• घर से निकालने वाली धूल: साफ सफाई जेब दौरान हमारे घर से निकलने वाली धूल आदि के कारण भी अस्थमा होने की संभावना बढ़ जाती है।

• मसाला या अनाज पीसते समय इससे निकालने वाली गर्द या धूल: मसाला या अनाज पीसते समय इससे निकलने वाली गर्द या धूल के कारण भी अस्थमा की संभावना बढ़ जाती है।  

• मानसिक तनाव: मानसिक तनाव भी अस्थमा के लक्षणों को बढ़ा सकता है और उसका आगमन कर सकता है।

• श्वसन नली में इंफेक्शन/संक्रमण: अस्थमा की बीमारी श्वसन नली में इंफेक्शन/संक्रमण के कारण भी हो सकती है।

अस्थमा की बीमारी के लक्षण:

• साँस का फूलना: अस्थमा रोगी का थोड़ी थोड़ी देर में साँस भूलने लगती है। 

• साँस लेने में तक़लीफ़ महसूस करना: अस्थमा रोगी को साँस लेने में तक़लीफ़ महसूस होती है।

• साँस का बार बार उखाड़ना: अस्थमा के रोगी की बार बार साँस उखड़ती है। 

•  अधिक मात्रा में खांसी का आना: अस्थमा के रोगी को अधिक मात्रा में खांसी आती है।

• अत्यधिक थकान महसूस होना: अस्थमा के रोगी को जल्दी जल्दी थकान महसूस होती है।

•  सर्दी के मौसम में दिक्कत महसूस होना: अस्थमा के रोगी को सर्दी के मौसम में अक्सर अस्थमा की परेशानी होती है। 

• धुएं से एलर्जी होना: अस्थमा के मरीज को धुएं से अक्सर एलर्जी महसूस होती है।

• धूल से एलर्जी: सांस के मरीज को धूल से हमेशा एलर्जी महसूस होती है।

• मौसम के परिवर्तन के समय परेशानी होना:  अस्थमा के मरीज को मौसम के परिवर्तन के समय परेशानी अस्थमा की परेशानी हो जाती है। 

• सांस लेते समय सीटी जैसी आवाज सुनाई दे: यदि किसी व्यक्ति को सांस लेने के दौरान सीटी जैसी आवाज सुनाई दे तो यह लक्षण अस्थमा की बीमारी का हो सकता है।

• लंबे समय तक खांसी की शिकायत होना: यदि किसी व्यक्ति को रोजाना खांसी की शिकायत बनी हुई है तो यह समस्या लगातार लंबे समय तक बनी हुई है, तो यह लक्षण अस्थमा का हो सकता है। 

• लगातार सर्दी और जुकाम बने रहना: यदि किसी व्यक्ति को लगातार  सर्दी और जुखाम बना रहता है, तो यह लक्षण भी अस्थमा की बीमारी का हो सकता है।  

• सीने में दर्द और जलन का होना: अस्थमा के मरीज के सीने में दर्द और जलन होना भी अस्थमा की बीमारी का एक लक्षण हो सकता है।

• नींद में बेचैनी होना या परेशानी होना:  अस्थमा के रोगी को नींद मे बेचैनी होना या फिर परेशानी होना भी अस्थमा का एक लक्षण हो सकती है। 

• शरीर के आंतरिक हिस्से या बाहरी हिस्से पर एलर्जी होना: यदि किसी व्यक्ति के शरीर के आंतरिक हिस्से या बाहरी हिस्से पर लगातार एलर्जी बनी हुई है, तो यह लक्षण भी अस्थमा की बीमारी का हो सकता है।

अस्थमा की बीमारी का आयुर्वेदिक उपचार क्या है:

आपने ऊपर अस्थमा के कारण, लक्षण के संबध मे जानकारी प्राप्त की है। अब हम आपको अस्थमा की बीमारी का आयुर्वेदिक उपचार के संबध मे जानकारी देने का प्रयास करेंगे, अस्थमा एक लाईलाज और गंभीर श्वासनली संबधी बीमारी है, जिसमें फेफड़ों में सुखापन जैसी समस्या पैदा हो जाती है तो चलिए जानते है कि अस्थमा का आयुर्वेदिक उपचार क्या है?: 

• त्रिफला चूर्ण: त्रिफला चूर्ण अस्थमा के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकता है। इसका सेवन दिन में दो बार ताजे पानी के साथ करना चाहिए।

• शिरिष बर्क (Acacia catechu): शिरिष एक प्राकृतिक श्वासनली उपचार हो सकता है, जो अस्थमा के लक्षणों को कम करने में मदद करता है।

• अदरक और शहद का सेवन: अस्थमा के मरीज के सुबह खाली पेट 3 से 4 चम्मच अदरक का रस और शहद का सेवन करने से इस बीमारी में बहुत राहत मिलती है।  

• तुलसी और काली मिर्च का सेवन: अस्थमा के रोगी को नियमित रूप से तुसली के पत्ता और काली मिर्च चबाने के चबाने से इस रोग में आराम मिलता है। 

• नींबू, अदरक और शहद का सेवन: अस्थमा/दमा/सांस के मरीज को नींबू, अदरक और शहद को मिलाकर सेवन करने से इस बीमारी में तुरंत राहत मिलती है।

• तेजपात पत्ता और अदरक का चूर्ण: अस्थमा/दमा के रोगी को तेजपत्ता और अदरक के रस का सेवन करने से इस बीमारी में बहुत आराम मिलता है। 

• वसाका (Malabar Nut): वसाका अस्थमा के उपचार के लिए एक प्राचीन औषधि है, जिसका सेवन अस्थमा के लक्षणों को कम कर सकता है।

• दालचीनी और शहद का सेवन: अस्थमा के रोगी को एक चौथाई चम्मच दालचीनी पाऊडर और एक चम्मच शहद मिलाकर सुबह खाली पेट चाटना चाहिए और ऊपर से गुनगुना पानी का सेवन करना चाहिए।

• फिटकरी का सेवन: अस्थमा के रोगी को दौरा पड़ने के दौरान थोड़ी सी मात्रा में फिटकरी जीभ पर रखकर चुसने से दौरे में तत्काल आराम मिलता है।

• हल्दी (Turmeric): हल्दी का सेवन अस्थमा के लक्षणों को कम कर सकता है, क्योंकि इसमें गुणकारी एंटी-इंफ्लैमेटरी और एंटी-ऑक्सीडेंट प्रॉपर्टीज होती हैं।

• प्रणायाम:  प्रणायाम और ध्यान का अभ्यास करने से श्वासनली सिस्टम को सुखद तरीके से संतुलित किया जा सकता है, जिससे अस्थमा के लक्षण कम हो सकते हैं।

• व्यायाम: नियमित व्यायाम करने से फेफड़ों की क्षमता में सुधार हो सकता है और अस्थमा के लक्षणों को कम किया जा सकता है।

• स्वस्थ आहार: स्वस्थ आहार और नियमित पानी की सुखापन से अस्थमा के लक्षणों को कम किया जा सकता है।

• स्वस्थ जीवनशैली: नियमित नींद, ध्यान, और स्वस्थ जीवनशैली अस्थमा के प्रबंधन में मदद कर सकती हैं।

• अत्यधिक थंडी और गर्मी से बचाव: अत्यधिक थंडी और गर्मी से बचना भी अस्थमा के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकता है।

• योग और आसन: योग और विशेष आसन भी श्वासनली सिस्टम को मजबूती देने में मदद कर सकते हैं, जिससे अस्थमा के लक्षणों को कम किया जा सकता है।

• आयुर्वेदिक दवाएँ:  आयुर्वेदिक चिकित्सक से सलाह लें और उनके द्वारा सुझाए गए औषधियों का सेवन करें।

• नियमित नींद: पर्याप्त नींद का पालन करें क्योंकि यह श्वासनली सिस्टम को सुखापन में मदद कर सकता है।

• आयुर्वेदिक चिकित्सक से सलाह: अस्थमा के उपचार के लिए आयुर्वेदिक चिकित्सक से सलाह लें और उनके द्वारा सुझाए गए उपचार का पालन करें।

• उचित सलाह एव सुझाव: किसी भी नई चिकित्सा या आयुर्वेदिक उपचार की शुरुआत से पहले, कृपया अपने चिकित्सक से परामर्श लें। आयुर्वेदिक उपचार के दौरान नियमित रूप से चिकित्सक की सलाह लें और चिकित्सक के दिशा-निर्देशों का पालन करें।

 अस्थमा की बीमारी के लिए बचाव और सावधानियां:

अस्थमा की बीमारी का वैसे कोई स्थाई इलाज नहीं है, प्रारंतु उचित बचाव और सावधानियों के द्वारा इस बीमारी से बचा जा सकता है, तो चलिए जानते है कि इस बीमारी से किस तरह से बचाव किया जा सकता है:

• दैनिक दिनचर्या में सुधार: जो लोग अस्थमा की बीमारी से ग्रस्त है और इस बीमारी से छुटकारा पाना चाहते हैं तो उनको अपनी जीवनशैली में सुधार करना चाहिए। 

• नशीली चीजों का इस्तेमाल न करें: अस्थमा के रोगी को किसी प्रकार के नशीले पदार्थ का इस्तेमाल नही करना चाहिए, क्योंकि अक्सर देखा गया है कि दमा की बीमारी ज्यादातर नशा करने वाले लोगों में देखी गई है। 

• धूल और मिट्टी से बचाब करें: अस्थमा के रोगी को धूल और मिट्टी से बचाव करना चाहिए, क्योंकि धूल व मिट्टी के द्वारा भी अस्थमा की बीमारी बढ़ती है और इसके कारण इस बीमारी के पैदा होने की संभावना बढ़ जाती है। 

• मौसम परिवर्तन के दौरान सावधानी: अस्थमा के रोगी को मौसम में होने वाले बदलाब के दौरान एक विशेष प्रकार की सावधानी बरतनी चाहिए।  

• एलर्जी से बचाव: अस्थमा के रोगी को किसी भी प्रकार की एलर्जी होने पर उसकी जांच करवानी चाहिए और उससे बचाव के लिए तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

• नियमित निंद्रा ले:  अस्थमा के रोगी को ज्यादा समय तक नही सोना चाहिए क्योंकि अस्थमा की बीमारी ज्यादा देर तक सोने से और अधिक बढ़ सकती है। इसलिए ज्यादा सोने से बचें।

• उचित आहार का सेवन: अस्थमा के रोगी को नियमित और उचित आहार का सेवन करना चाहिए। ज्यादा गरिष्ट भोजन अस्थमा के रोगी को परेशान करता है।  

• समय से भोजन करें: इस रोग से पीड़ित व्यक्ति को शाम का भोजन जल्दी कर लेना चाहिए। 

• मेडिकल टेस्ट: अस्थमा की बीमारी के लिए एलर्जी टेस्ट,खून की जांच,स्पायरोमेट्री,रक्त में ऑक्सीजन की मात्रा की जांच,फेफड़ों की जांच एव एक्सरे आदि की मदद से अस्थमा की बीमारी पहचान की जा सकती है।

एसपी सिंह चंद्रमा

एसपी सिंह चंद्रमा

अधिकतर मेरे लेख अपने आरोग्य को सुधारने, प्राकृतिक चिकित्सा और आयुर्वेद के अद्भुत फायदों पर आधारित होते हैं। मेरा उद्देश्य सामान्य लोगों को स्वस्थ और संतुलित जीवन जीने के लिए प्रेरित करना है और उन्हें शक्तिशाली आयुर्वेदिक उपचार और उपायों से अवगत कराना है। मेरे लेखों में आपको विशेषज्ञ सलाह और नैतिकता के साथ विश्वसनीय जानकारी मिलेगी जो आपके रोगों को दूर करने में मदद करेगी और आपको स्वस्थ और प्रकृति से समृद्ध जीवन जीने में सहायता करेगी। धन्यवाद।

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