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डायबिटीज Diabetes या शुगर Sugar क्या है? इसके प्रकार, कारण, लक्षण और आयुर्वेदिक उपचार बचाव एव सावधानियां:

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आज हम इस ब्लॉग पोस्ट में आपको डायबिटीज Diabetes या शुगर Sugar क्या है? इसके प्रकार, कारण, लक्षण और आयुर्वेदिक उपचार, बचाव एव सावधानियां के बारे में जानकारी देने का प्रयास करेंगे। तो चलिए जानते है कि डायबिटीज Diabetes या शुगर Sugar क्या है? What is Diabetes in Hindi

डायबिटीज Diabetes एक बीमारी है, इसको हम मुख्यत: डायबिटीज Diabetes शुगर Sugar या मधुमेह के नाम भी जानते है। इस बीमारी के पैदा का मूल कारण हमारी दैनिक जीवन शैली और दिनचर्या होती है। जब हमारे शरीर के पैन्क्रियाज में इन्सुलिन की मात्रा कम हो जाती है अर्थात इन्सुलिन कम पहुंचे, तो इस दशा मे हमारे खून में मौजूद ग्लूकोज की मात्रा भी ज्यादा हो जाती है। इस स्थिति को हम डायबिटीज Diabetes, शुगर Sugar या मधुमेह कहते हैं। वैसे डायबिटीज Diabetes की बीमारी अनुवाशिंक भी हो सकती है। डायबिटीज Diabetes के मरीजों को अपने खाने-पीने की चीजों का विशेष ध्यान रखना चाहिए। क्योंकि डायबिटीज Diabetes के रोगी का ब्लड शुगर लेवल ना तो सामान्य से अधिक अच्छा माना जाता है और ना ही सामान्य से कम होना अच्छा माना जाता है। इस स्थिति में रोगी को नियमित रूप से अपने शुगर लेवल की जांच करवाते रहना चाहिए। एक रिपोर्ट के अनुसार एक सामान्य व्यक्ति का शुगर लेवल खाना खाने से पहले 80 से लेकर 130 मिलीग्राम प्रति डेसीलीटर या फिर 4.4 से लेकर 7.2 मिलीमोल प्रति लीटर होना चाहिए। इसके अलावा खाना खाने के 2 घंटे बाद व्यक्ति का शुगर लेवल 180 मिलीग्राम/DL से कम होना चाहिए। यदि डायबिटीज Diabetes का शुगर लेवल बहुत अधिक बढ़ जाए या फिर बहुत ज्यादा निम्न हो जाए, तो दोनों ही स्थिति में रोगी के स्वाथ्य पर संकट पैदा हो सकता है। डायबिटीज Diabetes में यह दोनो ही स्थितियां जानलेवा साबित हो सकती हैं। अगर हम बात करें कि इंसुलिन क्या है? (What is insulin in Hindi) इंसुलिन एक प्रकार का हार्मोन होता है। जो हमारे शरीर के अंदर की पाचन ग्रंथि से निर्मित होता है। मुख्यरूप से इंसुलिन का कार्य भोजन को ऊर्जा में तब्दील कर, शरीर के शुगर लेवल को संतुलित करना होता है।

डायबिटीज Diabetes या शुगर sugar कितने प्रकार की होती है? types of diabetes in Hindi

मुख्यत: डायबिटीज Diabetes या शुगर sugar तीन प्रकार की होती है। डायबिटीज Diabetes या शुगर sugar के प्रकार निम्नवत: है:

1. टाइप-1 डायबिटीज Diabetes: इस डायबिटीज में हमारे पेंक्रियाज में हार्मोन इंसुलिन बनना बंद हो जाता है। जिस कारण से हमारे रक्त में ग्लूकोज की मात्रा बढ़ने लगती हैं। इस डायबिटीज को हम आनुवंशिकता और वायरल इंफेक्शन आदि से जोड़कर देखा जाता है। इस बीमारी से पीड़ित लोगों की संख्या लगभग दस प्रतिशत होती है।

2. टाइप- 2 डायबिटीज Diabetes: इस डायबिटीज में हमारे पेंक्रियाज में जरूरत के अनुसार इंसुलिन नहीं बनता है या फिर हमारा हार्मोन ठीक प्रकार से कार्य नहीं करता है। यह डायबिटीज अधिकतर उन व्यक्तियों को हो सकता है जो उम्र में अधेड़ और वृद्ध है या फिर मोटापे के शिकार है।

3. जेस्टेशनल डायबिटीज Diabetes: इस डायबिटीज Diabetes को गर्भावधि डायबिटीज के नाम से भी जाना जाता है। इस डायबिटीज Diabetes का शिकार गर्भवती महिलाएं होती है। इसमें गर्भवती महिलाओं का शरीर उनके और उसके बच्चे के शरीर के अनुसार पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन नही बन पाता है। जिस कारण से गर्भवती महिलाएं जेस्टेशनल डायबिटीज से पीड़ित हो जाती है। यदि गर्भवती महिलाओं में इस बीमारी के आकड़े देखें तो 5 से 20 प्रतिशत महिलाओं में जेस्टेशनल डायबिटीज से पीड़ित होने की संभावना होती हैं।

डायबिटीज diabetes के क्या कारण हैं ? Causes of diabetes in hindi:

इस बीमारी में हमारा शरीर ब्लड और ग्लूकोज या शुगर का उपयोग सही तरीके से नहीं कर पाता है। तब इस दशा मे व्यक्ति को डायबिटीज़ diabetes या शुगर sugar की समस्या उत्पन्न हो जाती है। सामान्यतः diabetes या शुगर sugar के मुख्यत: निम्न कारण हो सकते है:

(टाइप-1 डायबिटीज के कारण):

• डायबिटीज़ diabetes होने पर हमारी रोगप्रतिरोधक प्रणाली इंसुलिन का निर्माण करने वाली कोशिकाओं को नष्ट कर देती है।

• डायबिटीज़ diabetes किसी संक्रमण के कारण भी हो सकती है।

• डायबिटीज़ diabetes अनुवांशिक बीमारी है। इस कारण से यह पीढ़ी दर पीढ़ी बढ़ती रह सकती है।

(टाइप- 2 डायबिटीज के कारण):

• डायबिटीज़ diabetes की बीमारी मोटापे की वजह से भी हो होती है।

• डायबिटीज़ diabetes हमारी गलत शारीरिक गतिविधियों के कारण भी हो सकती है।

• इंसुलिन प्रतिरोध Insulin resistance इंसुलिन बनने के कार्य में बाधा पहुंचे।

(गर्भावस्थाजन्य डायबिटीज gestational diabetes):

• गर्भावस्थाजन्य डायबिटीज़ diabetes 25 वर्ष से अधिक उम्र की गर्भवती महिलाओं को हो सकती है।

• इस डायबिटीज़ diabetes में यदि महिला के परिवार में अन्य किसी को डायबिटीज़ रहा हो तो, इस परिस्थिति में भी गर्ववती महिला को डायबिटीज़ होने का खतरा बना रहता है।

• गर्भवती महिला को यदि हाई ब्लेड प्रेसर की समस्या रही हो तो इस दशा में डायबिटीज़ diabetes होने की संभावना बढ़ जाती है।

• गर्भावस्था के दौरान महिला को अधिक समय तक एमनियोटिक द्रव की समस्या रही हो।

• महिला को गर्भावस्था से पहले अधिक वजन की समस्या रही हो।

• महिला को पूर्व में कभी गर्भपात हुआ हो तो इस दशा मे गर्भवती महिला को डायबिटीज़ diabetes हो सकती है।

• पूर्व में कभी महिला को पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (Polycystic Ovary Syndrome) या फिर महिला ने 4 किलो से अधिक वजन के बच्चे को जन्म दिया हो।

• डायबिटीज़ diabetes होने के अन्य कारण भी हो सकते है जैसे: व्यक्ति का कोलेस्ट्रॉल लेवल हाई होना।

• व्यायाम या एक्सरसाइज न करना।

• हमारे खान-पान की गलत आदतें होना।

डायबिटीज के क्या-क्या लक्षण हो सकते हैं? symptoms of diabetes:

• अत्यधिक थकान महसूस होना: डायबिटीज diabetes एक ऐसी समस्या है, जिसमें व्यक्ति बिना कुछ काम करें थकान महूसस करने लगता है। यदि व्यक्ति को फ्रेस होने के बाबजूद भी यदि बार बार थकान होने लगे तो एक बार डायबिटीज जरूर करवाएं।

• बार बार प्यास लगना: डायबिटीज के रोगी को बार बार पानी प्यास लगती है।

• अधिक पेशाब आना: डायबिटीज के मरीज को बार बार पेशाब आने के समस्या रहती है।

• वजन का घटना: डायबिटीज के मरीज का वजन तेजी से कम हो रहा हो और व्यक्ति अपने आपको थका हुआ महसूस करता है।

• चोट या घाव का धीरे धीरे ठीक होना: डायबिटीज के मरीज को शुगर लेवल बढ़ने के कारण चोट या घाव का धीरे धीरे ठीक होता है। यह लक्षण डायबिटीज टाइप- 2 के रोगियों में भी देखने को मिलते है।

• भूख अधिक लगना: डायबिटीज के मरीज को एक सामान्य इंसान के मुकाबले ज्यादा भूख लगती है।

• रोगप्रतिरोधक छमता काम होना: डायबिटीज के मरीज की रोगोरतिरोधक छमता कम हो जाती है। इस कारण से रोगी को जल्दी से सर्दी खांंसी और जुकाम की समस्या लगातार बनी रहती है।

• सिर में दर्द होना: डायबिटीज के मरीज को अक्सर सिर में दर्द की समस्या बनी रहती है।

• धुंधलापन या कम दिखना: डायबिटीज के मरीज को कम दिखना या धुंधलापन दिखने की समस्या होना।

• प्राइवेट पार्ट में दिक्कत होना: डायबिटीज के मरीज के प्राइवेट पार्ट में दिक्कत होती है। इसमें घाव या खुजली आदि की समस्या हो सकती है।

• दिल की धड़कन तेज अचानक से बढ़ना: डायबिटिज के मरीज को उच्च रक्तचाप या दिल की धड़कन आदि बढ़ने की संभावना रहती हैं।

किडनी पर प्रभाव: डायबिटिज की बीमारी में रोगी की किडनी प्रभावित होती है। इस बीमारी के निदान के उपरांत किडनी में 2 से 5 वर्ष के भीतर कार्यात्मक परिवर्तन महसूस होते है। जिससे रोगी की किडनी खराब होने या संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।

डायबिटीज का आयुर्वेदिक उपचार क्या है: Ayurvedic treatment of diabetes in Hindi:

आयुर्वेद में डायबिटीज के लिए अनेक उपचार बताए है। हम इन आयुर्वेदिक उपचार का प्रयोग करके डायबिटीज की बीमारी में लाभ ले सकते है। डायबिटीज के लिए आयुर्वेदिक उपचार निम्नवत: है:

• करेले का रस: डायबिटीज के रोगियों को रोजाना करेले के रस का सेवन करना चाहिए और सुबह खाली पेट कच्चे करेले का सेवन करने से भी लाभ होता है।

• मेथी के बीज: मेथी के बीजों को रात भर पानी में भिगोकर रखें और सुबह इसे गर्म पानी के साथ पीने से डायबिटीज के रोग में फायदा होता है।

• नीम की पत्तियां: नीम की पत्तियों को बारीक पीसकर रस निकालें और इसे एक गिलास पानी में मिलाकर पीने से डायबिटीज को नियंत्रित किया जा सकता है। याद रहे इसका सेवन सप्ताह में दो से तीन करें क्योंकि नीम के पत्तों का ज्यादा समय तक सेवन करने से व्यक्ति का खून पतला होता है।

• जामुन की गुठली: डायबिटीज में जामुन की गुठलियों को बारीक पीसकर, इनका रस निकालें और इसे पानी में मिलाकर पीने से डायबिटीज के लक्षण कम होते हैं।

• मधुमेहांतक वटी: यह आयुर्वेदिक दवा डायबिटीज के उपचार में उपयुक्त मानी जाती है।

• घृतकुमारी: घृतकुमारी का रस डायबिटीज के लिए फायदेमंद होता है।

• अंमला: अंमला का रस डायबिटीज को नियंत्रित करने में मदद करता है।

• ग्रीन टी का सेवन: ग्रीन टी पीने से व्यक्ति का कोलेस्ट्रॉल भी कम होता है और डायबिटीज में भी मदद मिलती है। याद रहे ग्रीन टी में चीनी या शहद का प्रयोग नही करना है।

• नागरमोथा: नागरमोथा की जड़ का पाउडर रोजाना सेवन करने से डायबिटीज के लक्षण कम होते हैं।

• जीरा: जीरा का सेवन भोजन के साथ करने से डायबिटीज के लक्षण कम होते हैं।

• तुलसी: तुलसी के पत्तों को चाय में डालकर पिए और तुसली के पत्तों का सेवन खाली पेट करने से डायबिटीज की बीमारी में लाभ मिलता है। याद रहे ग्रीन टी में चीनी या शहद का प्रयोग नही करना है।

• योगाभ्यास: योगासनों को नियमित रूप से करने से डायबिटीज के लक्षण कम होते हैं।

• प्राणायाम: नियमित प्राणायाम करने से डायबिटीज को नियंत्रित किया जा सकता है।

• व्यायाम: रोजाना व्यायाम करने से शरीर की ऊर्जा स्तर बढ़ता है और डायबिटीज के लक्षण कम होते हैं।

• स्ट्रेस कम करें: तनाव को कम करने के लिए मेधावी ब्रह्मी और आंवला का सेवन करें।

• समय पर खाना: भोजन को समय पर खाने से रक्त शर्करा स्तर नियंत्रित रहता है और डायबिटीज को कंट्रोल में रखने में मदद मिलती है।

कृपया ध्यान दें कि डायबिटीज का उपचार व्यक्ति की उम्र, रोग के स्तर, और शरीर के संरचना के अनुसार बदल सकता है। इसलिए सबसे अच्छा है कि आप एक विशेषज्ञ आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह लें और उनके निर्देशानुसार ही उपचार करें।

डायबिटीज (शुगर) के लिए बचाव और सावधानियां निम्नलिखित हैं: prevention of diabetes?:

• स्वस्थ आहार: अपने भोजन में स्वस्थ और नियमित आहार शामिल करें। फल, सब्जियां, अनाज, पौष्टिक दालें और प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थ खाने से डायबिटीज को नियंत्रित किया जा सकता है। तले हुए और मिठे खाद्य पदार्थों, शर्करा और मिठाईयों का सेवन कम करें।

• व्यायाम करें: नियमित व्यायाम करने से रक्त शर्करा स्तर को नियंत्रित किया जा सकता है। योग, ध्यान, स्थानिक व्यायाम और चलने-फिरने में विशेष रूप से लाभ होता है।

• वजन नियंत्रण करें: अधिक वजन डायबिटीज के लिए खतरनाक हो सकता है। यदि आपका वजन अधिक है, तो वजन कम करने के लिए योजना बनाएं और नियमित व्यायाम करें।

• नियमित रक्त शर्करा की जांच: डायबिटीज के रोगियों को नियमित अंतराल पर अपने रक्त शर्करा स्तर की जांच करानी चाहिए। इससे रक्त शर्करा स्तर को नियंत्रित रखने में मदद मिलती है।

• दवाओं का सेवन: डायबिटीज के लिए नुकसानदायक खाद्य पदार्थों और दवाओं का सेवन कम करें। आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह लेकर अपनी दवा का सेवन करें।

• डॉक्टर से परामर्श और देखभाल: डायबिटीज के रोगियों को नियमित दूरदर्शी देखभाल के लिए अपने चिकित्सक का पालन करना चाहिए। रक्त शर्करा स्तर की निगरानी करने के साथ-साथ अपनी बीमारी को नियंत्रित करने के लिए डॉक्टर के सुझावों का भी पालन करें।

• अशुद्ध खाद्य पदार्थों से बचें: बाजार में मिलने वाले अशुद्ध और तले हुए खाद्य पदार्थों से बचने का प्रयास करें।

• नशा करने से बचे: शराब और तंबाकू का सेवन न करें, क्योंकि ये डायबिटीज के लिए और भी खतरनाक साबित हो सकते हैं।

• तनाव को कम करें: स्ट्रेस डायबिटीज के लक्षणों को बढ़ा सकता है। योग, मेधावी ब्रह्मी, आंवला और शांति प्रदान करने वाले गतिविधियों को अपनाकर स्ट्रेस को कम करने का प्रयास करें।

• संतुलित नींद: नियमित और पर्याप्त नींद लेना डायबिटीज के लिए फायदेमंद होता है।

• रासायनिक दवाओं का सेवन: रासायनिक दवाओं को अपने चिकित्सक के परामर्शानुसार सेवन करें।

• रोज़ाना ब्लड प्रेशर का चेकअप करें: रोज़ाना ब्लड प्रेशर का चेकअप करें और रक्त शर्करा स्तर की जाँच कराएं।

कृपया ध्यान दें कि यह सुझाव केवल सामान्य जानकारी के लिए हैं और आपके डायबिटीज के विशिष्ट लक्षणों और स्थिति को ध्यान में रखते हुए एक विशेषज्ञ डॉक्टर से परामर्श लेना सुरक्षित होगा।

एसपी सिंह चंद्रमा

एसपी सिंह चंद्रमा

अधिकतर मेरे लेख अपने आरोग्य को सुधारने, प्राकृतिक चिकित्सा और आयुर्वेद के अद्भुत फायदों पर आधारित होते हैं। मेरा उद्देश्य सामान्य लोगों को स्वस्थ और संतुलित जीवन जीने के लिए प्रेरित करना है और उन्हें शक्तिशाली आयुर्वेदिक उपचार और उपायों से अवगत कराना है। मेरे लेखों में आपको विशेषज्ञ सलाह और नैतिकता के साथ विश्वसनीय जानकारी मिलेगी जो आपके रोगों को दूर करने में मदद करेगी और आपको स्वस्थ और प्रकृति से समृद्ध जीवन जीने में सहायता करेगी। धन्यवाद।

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