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डेंगू बुखार का कारण, लक्षण और इसका आयुर्वेदिक ईलाज बचाव एव सावधानियां।

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हम आपको इस ब्लॉग आर्टिकल में डेंगू बुखार का कारण, लक्षण और इसका आयुर्वेदिक उपचार बचाव एव सावधानियों के बारे में जानकारी देंगे, आप इस जानकारी को अपने जीवन मे फॉलो करके आप डेंगू बुखार से बचाव कर सकते है। तो आए जानते है कि डेंगू बुखार का आयुर्वेदिक उपचार बचाव और सावधानियां क्या है?:

आजकल बरसात का मानसूनी मौसम चल रहा है। इस मौसम में डेंगू बुखार सहित डायरिया, एलर्जी, मलेरिया और डायफाइड आदि बीमारियां होना आम बात है। इसी तरह से डेंगू बुखार जिसको आम लोगों की भाषा मे हड्डी तोड़ बुखार भी कहा जाता है। डेंगू बुखार एक फ्लू जैसी बीमारी है, जो डेंगू वायरस के कारण हमारे शरीर में प्रवेश होती है। यह बीमारी तब प्रकाश में आती है, जब एडीज वायरस वाला मच्छर किसी स्वस्थ व्यक्ति को काटता है तो इस दशा में उस व्यक्ति को डेंगू बुखार होने का खतरा बढ़ जाता है। प्रायः यह बीमारी मुख्य रूप से उपोष्णकटिबंधीय और उष्णकटिबंधीय तथा वर्षा वन क्षेत्रों में पाई जाती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के आंकड़ों के अनुसार हर साल लगभग 550,000 लोग डेंगू बुखार से पीड़ित होकर हॉस्पिटल में भर्ती होते है। पूरी दुनिया में हर साल उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों से डेंगू बुखार के सबसे ज्यादा पीड़ित सामने आते हैं। भारत सहित, अफ्रीका, मेक्सिको, मध्य और दक्षिण अमेरिका के कुछ हिस्सों में डेंगू बुखार के सबसे ज्यादा मामले सामने आते है। वर्ष 2022 में राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम (एनवीबीडीसीपी) निदेशालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार भारत में वर्ष 2022 में डेंगू बुखार के कुल मामले 233251 मामले सामने आ चुके है, जिनमें से कुल मौत 303 हुई थी। सरकार द्वारा प्रत्येक वर्ष डेंगू बुखार पर तमाम तरह की मुहिम चलाकर इस बीमारी पर नियंत्रण लगाया जा रहा है। पिछली वर्षों की तुलना में वर्ष 2022 डेंगू बुखार से मरने वालों की संख्या कम हुई है।

डेंगू वायरस के कारण क्या है?:

डेंगू बुखार मुख्यत: चार वायरसों के कारण पैदा होता है, जो निक्नवत हैं:

डेंगू बुखार मुख्यत: चार वायरस है जोकि DENV-1,DENV-2, DENV-3 और DENV-4, जब यह मच्छर पहले से संक्रमित व्यक्ति को काटता है तो यह वायरस मच्छर के शरीर में प्रवेश कर जाता है। उसके बाद यह बीमारी तब फैलती है जब वह मच्छर किसी स्वस्थ व्यक्ति को काटकर उसके शरीर में डेंगू वायरस को छोड़ देता है। इस तरह व्यक्ति डेंगू बुखार की चपेट में आकर डेंगू बुखार से पीड़ित हो जाता है।

डेंगू बुखार के लक्षण क्या है?:

अब हम डेंगू बुखार के लक्षण क्या है? इसके लक्षणों के बारे में जानकारी करेंगे। डेंगू बुखार के लक्षण बीमारी के कुछ दिनों तक दिखाई देते हैं और ये लक्षण आम तौर पर सामान्य बुखार के लक्षणों से भिन्न होते है। डेंगू बुखार के लक्षण निम्नलिखित हो सकते हैं:

• तेज बुखार: डेंगू बुखार से संक्रामित व्यक्ति को अचानक से तेज बुखार आता है, जो आमतौर पर 102 डिग्री फारेनहाइट से अधिक हो सकता है।

• शरीर में दर्द: डेंगू बुखार से पीड़ित व्यक्ति के शरीर और मस्तिष्क सहित पेट, पीठ, जोड़ों औरआँखों के पीछे दर्द महसूस हो सकता है।

• सूखी खांसी: डेंगू बुखार के रोगी को प्रारंभिक लक्षण में सूखी खांसी भी हो सकती है।

• बुखार के साथ लाल चकत्ते: डेंगू बुखार के मरीजों के शरीर पर लाल चकत्ते या धागे दिख सकते हैं, जो खासकर पेट, पीठ, पैरों, हाथों और चेहरे पर दिखाई देना स्वाभाविक हैं।

• नाक या गले से खून आना: डेंगू बुखार से पीड़ित व्यक्तियों में से कुछ लोगों के नाक या गले से थोड़ा-सा खून आ सकता है।

• शरीर पर झुर्रियां और सूजन: कुछ मरीजों में शरीर पर झुर्रियां और सूजन हो सकती है।

• चक्कर आना और कमजोरी: डेंगू बुखार से पीड़ित व्यक्ति को चक्कर आना और कमजोरी होने की समस्या हो सकती है।

• वोमिटिंग और पेट की समस्या: कुछ मरीजों में वोमिटिंग (उल्टियां) और पेट में दर्द हो सकता है।

डेंगू बुखार का आयुर्वेदिक उपचार क्या है?

डेंगू बुखार के लिए आयुर्वेदिक उपचार में आम तौर पर प्राकृतिक औषधियों और घरेलू उपायों का इस्तेमाल करके डेंगू बुखार पर विजय प्राप्त की जा सकती है। आयुर्वेद में डेंगू बुखार के लिए कुछ उपाय निम्नलिखित हैं:

• तिल का या नीम का तेल: डेंगू के इलाज के लिए तिल या नीम के तेल का उपयोग किया जा सकता है। तिल या नीम के तेल में एंटी-वायरल गुण होते हैं जो डेंगू वायरस के विकास को रोकने में मदद कर सकते हैं। आप इस तेल को उस जगह पर लगाएं जहां ज्यादा से ज्यादा खुजली या दर्द हो रहा हो।

• पपीता (Papaya): पपीता या पपीता के पत्तों का सेवन करने से डेंगू के लक्षणों को कम किया जा सकता है। पपीता में पेपेन नामक एंजाइम पाया जाता है जो वायरस को नष्ट करने में मदद करता है।

• नीम (Neem): नीम के पत्तों के रस को डेंगू के इलाज में उपयोग किया जा सकता है। नीम में एंटी-वायरल गुण होते हैं जो वायरस के प्रसार को रोक सकते हैं।

• चीड़ का तेल: चीड़ के तेल को रात को सोते समय शरीर पर लगाने से इसकी बदबू के कारण मच्छर व्यक्ति के पास नही आते है और शरीर को काटते नही है।

• पीपल (Peepal): पीपल के पत्ते को पीसकर उसका रस निकालकर उसे दिन में दो बार पीने से डेंगू के लक्षण कम हो सकते हैं।

• आम (Mango): आम में पूर्ण भरपूर विटामिन सी पाया जाता है जो डेंगू के इलाज में मदद कर सकता है।

• गिलोय (अमृता) का सेवन: गिलोय डेंगू वायरस के प्रति प्रतिरक्षा प्रणाली को सक्रिय करने में मदद करता है। इसके रस का एक चम्मच गुणगुणे पानी के साथ रोजाना सेवन करने से डेंगू के बुखार में राहत मिलती है।

• पानी की पर्याप्त मात्रा: डेंगू बीमारी में रोगी को हाइड्रेशन रखने के लिए पर्याप्त पानी पीना अत्यंत आवश्यक है।

• संतुलित आहार: संतुलित आहार का सेवन करने से रोगी की रोग प्रतिरक्षा प्रणाली को सुधारने में मदद मिलती है। फल, सब्जियां, प्रोटीन और पौष्टिक खाद्य पदार्थों का सेवन करें।

• प्लेंटलेट आधारित चिकित्सा: आयुर्वेद में कई प्रकार के जड़ी-बूटियों का उपयोग डेंगू के इलाज में किया जाता है। कुछ ऐसी जड़ी-बूटियां हैं जैसे की गिलोय, पपीता पत्ते, नीम, टूलसी, अश्वगंधा आदि जो डेंगू के लक्षणों को कम करने में और शरीर की रोग प्रतिरक्षा प्रणाली को सुधारने में मदद कर सकती हैं।

ध्यान दें कि डेंगू एक गंभीर बीमारी है और इसके इलाज के लिए विशेषज्ञ चिकित्सक से संपर्क करना सुनिश्चित करें। आयुर्वेदिक उपायों का इस्तेमाल करने से पहले भी चिकित्सक से सलाह लेना जरूरी है।

डेंगू बुखार से बचाव और सावधानियां क्या हैं?:

डेंगू बुखार के मच्छर ज्यादातर दिन में कटते है। यह मच्छर  ज्यादातर शांत जगहों में पाए जाते हैं, जैसे फूलों के पौधों, शांत और घना बगीचा, झाड़ीदार पेड़ और साफ पानी के टैंक आदि स्थानों पर पाए जाते है। डेंगू बुखार से बचाव और सावधानियां निम्नलिखित हैं:

• साफ सफाई रखें: दिनभर के समय मच्छरों से बचने के लिए अपने घर और आस-पास के क्षेत्र को स्वच्छ रखें और हमारे आसपास जमा हुए पानी की सफाई करें।

• मच्छरदानी का प्रयोग करें: मच्छरों से संरक्षण के लिए  मॉस्किटो नेट, और डेंगू मच्छर भगाने वाले मशीन का उपयोग करें।

• बरसात के मौसम में बाहर न जाएं: बरसात के मौसम में ज्यादा से ज्यादा बाजारों या खुले जगहों पर बाहर न जाएं, विशेष रूप से जब मच्छरों की गतिविधि ज्यादा होती है।

• डेंगू की बीमारी के लक्षणों की पहचान: डेंगू के संदर्भ में लक्षणों जैसे बुखार, बढ़ती हुई प्यास, थकान, शरीर में दर्द, वोमिटिंग, जुकाम, लाल चकत्ते, आदि को गंभीरता से लें और तुरंत अपने चिकित्सक से संपर्क करें।

• संतुलित आहार पर ध्यान दें: बुखार के समय अधिक से अधिक पानी पिएं और ठंडे आहार जैसे फलों, सलाद, दही, खीर आदि का सेवन करें।

• बच्चे और बुजार्ग का ध्यान रखें: विशेष रूप से बच्चों और बूढ़ों को खास ध्यान दें, क्योंकि उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होती है।

• दिन में पूरे कपड़े पहनें: बरसात के मौसम में हमेशा व्यक्ति को पूरे कपड़े पहनने चाहिए, पूरे कपड़े पहनने से मच्छर नही काट पाते है।

• रात को मच्छरदानी लगाएं: रात को सोने से पहले मच्छरदानी अवश्य लगाएं, आपको मच्छरदानी लगाने से मच्छर नही करेंगे और भरपूर नींद आयेगी।

• ब्लड जांच करवाए: रोगी को ऊपर वाले लक्षण होने पर तुरंत बल्ड की जांच करवानी चाहिए। 

• मरीज को भरपूर आराम कराना चाहिए: मरीज को आराम के साथ साथ चिकित्सकीय देखभाल के लिए अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता हो सकती है, खासकर जब रोगी की स्थिति गंभीर होती है या डेंगू भयानक समस्याओं में बदल जाता है।

यदि आपको या आपके आस पास किसी को डेंगू से संबंधित लक्षण हों तो, तुरंत चिकित्सक की सलाह लें और जरूरी उपचार का पालन करें। डेंगू एक गंभीर बीमारी है और इसके उपचार के लिए समय रहते चिकित्सा प्रदान करना महत्वपूर्ण है।

एसपी सिंह चंद्रमा

एसपी सिंह चंद्रमा

अधिकतर मेरे लेख अपने आरोग्य को सुधारने, प्राकृतिक चिकित्सा और आयुर्वेद के अद्भुत फायदों पर आधारित होते हैं। मेरा उद्देश्य सामान्य लोगों को स्वस्थ और संतुलित जीवन जीने के लिए प्रेरित करना है और उन्हें शक्तिशाली आयुर्वेदिक उपचार और उपायों से अवगत कराना है। मेरे लेखों में आपको विशेषज्ञ सलाह और नैतिकता के साथ विश्वसनीय जानकारी मिलेगी जो आपके रोगों को दूर करने में मदद करेगी और आपको स्वस्थ और प्रकृति से समृद्ध जीवन जीने में सहायता करेगी। धन्यवाद।

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