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नजला najla क्या है? इसके कारण, लक्षण और आयुर्वेदिक उपचार एव बचाव और सावधानियां: 

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आज हम इस ब्लॉग पोस्ट में आपको नजला najla क्या है? इसके कारण, लक्षण और आयुर्वेदिक उपचार एव बचाव और सावधानियों के बारे में जानकारी देने का प्रयास करेंगे।  तो चलिए जानते है कि “नजला najla क्या है?” 

सर्दी और फ्लू यह दोनों ही बीमारी वायरस से उत्पन्न बीमारियां है। जुकाम एक ऐसी बीमारी है जिसके कारण हमारा श्वसन तंत्र संक्रमित होता है। इसी संक्रमित श्वसन तंत्र को नजला कहा जाता है। इस बीमारी से संक्रमित व्यक्ति को सबसे पहले जुकाम या नजला होता है। यह संक्रमण व्यक्ति की नाक को प्रभावित करता है। डॉक्टर्स के अनुसार फ्लू मुख्यत तीन प्रकार के वायरसों के कारण होता है। हमारे वातावरण में लगभग 200 से ज्यादा वायरस ऐसे हैं, इनके कारण सर्दी और नजला हो सकता है। नजला की बीमारी सबसे ज्यादा बुजुर्गों और कम उम्र के बच्चों को ज्यादा परेशान करती है। यह वारयस ऐसा वायरस है जो संचरण के द्वारा कहीं भी यात्रा कर सकता है और किसी भी व्यक्ति को संक्रमित कर सकता है। बदलते मौसम के कारण खांसी और जुकाम होना एक आम बात है। मौसम में जब जब परिवर्तन होता है। वैसे ही हमारे आसपास और अपने घर में किसी न किसी सदस्य को खांसी-जुकाम की समस्या उत्पन्न हो ही जाती है। यह सर्दी जुकाम की समस्या घर में यदि किसी एक को हो गई तो, घर में मौजूद बाकी सदस्यों को भी फिर एक बार यह समस्या होना लाजमी है। इसलिए जब जब मौसम में बदलाब हो उस समय हमको अपने स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखना चाहिए। लगातार खांसी-जुकाम के बने रहने के कारण नजला, एलर्जी, साइनस का इन्फेक्शन, बैक्टीरियल या वायरल इन्फेक्शन होना स्वाभाविक है। कई बार यह समस्या ठंड  और वायरस के कारण भी हो सकती है। अक्सर हमने अपने आसपास में देखा कि हमारे मित्र या पड़ोसी ठंड के आते ही सर्दी-जुकाम के शिकार हो जाते है और वह अपनी नाक को बार बार पोंछते हुए, छींकते हुए और खांसते हुए दिखाई देते है। कई बार सर्दी के मौसम में व्यक्ति को कॉमन फ्लू वायरस भी परेशान करता है। हम नजले की बीमारी की मूल जड़ सर्दी-जुकाम के, कारण और लक्षण को पहचानकर अपने घर पर आयुर्वेदिक उपचार पद्धति अपनाकर ठीक कर सकते है। तो जानते है कि नजला होने के कारण है।

नजला (सर्दी जुकाम) के क्या कारण है:

नजला एक आम स्वास्थ्य समस्या है जिसमें नाक और गले की मुख्य नसें सूज जाती हैं, जिससे व्यक्ति को सांस लेने में कठिनाई हो सकती है। नजला के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें से कुछ निम्नलिखित हैं:

• वायरल इन्फेक्शन: वायरस के कारण होने वाले इन्फेक्शन, जैसे कि रेस्पिरेटरी सिंसीटियल वायरस (RSV) और इंफ्लुएंजा, नजला की एक सामान्य वजह हो सकते हैं।

• बैक्टीरियल इन्फेक्शन: बैक्टीरियल इन्फेक्शन, जैसे कि स्ट्रेप थ्रोट और सिनुसाइटिस, भी नजले के लक्षणों का कारण बन सकते हैं।

एलर्जी: प्रदूषण, धूल, पॉलेन या खाद्य पदार्थों की एलर्जी नजले के कारण बन सकती है।

• धूल मिट्टी: बाहर की धूल और मिट्टी के कण नाक में आकर नजला का कारण बन सकते हैं।

• ऋतु परिवर्तन: मौसम के परिवर्तन या बारिश के कारण नजले की समस्या हो सकती है।

• तंतुरिका इन्फेक्शन: सिनुस में तंतुरिका इन्फेक्शन भी नजले का कारण बन सकता है।

• लापरवाही करना: अच्छी तरह से ध्यान न देने के कारण भी नजले की समस्या हो सकती है।

• मौसम: गर्मी और बर्फीले मौसम में नजले की समस्या होने की संभावना बढ़ जाती है।

• नाक के अंदरुनी कीटाणुओं का प्रसार: नाक के अंदर कीटाणुओं का प्रसार नजले की समस्या के कारण बन सकता है।

• दुर्गंधित पदार्थों का प्रसार: बुरी दुर्गंध वाले पदार्थों का संपर्क करने से भी नजले की समस्या हो सकती है।

• धूप और धूल: धूप और धूल की अधिकता भी नजले की समस्या को बढ़ा सकती है।

• प्रदूषण: वायु प्रदूषण और बदलते मौसम के कारण भी नजले की समस्या हो सकती है।

• धूल-मिट्टी की भरी जगहों पर जाना: धूल-मिट्टी भरी जगहों में जाने से भी नजले की समस्या हो सकती है।

• धूल और कीटाणुओं से संक्रमण: धूल और कीटाणुओं से संक्रमण होने से भी नजले की समस्या हो सकती है।

• सही तरीके से व्यक्तिगत स्वच्छता नहीं रखना: नियमित हाथ धोने, स्वच्छता का ध्यान न देने से भी नजले की समस्या हो सकती है।

नजला के ये कुछ कारण हो सकते हैं, लेकिन हर किसी की स्थितिगति और सम्प्रेक्ष्य आधारित होती है। यदि आपको लगता है कि आप नजले से पीड़ित हो रहे हैं, तो यह बेहतर होता है कि आप एक चिकित्सक से सलाह लें और उपयुक्त उपचार प्राप्त करें।

नजला (सर्दी जुकाम) के लक्षण क्या है?:

नजला एक आम स्वास्थ्य समस्या है जो ज्यादातर मौसम परिवर्तनों के साथ दिखाई देती है। यह वायरल इंफेक्शन के कारण होती है और नाक, गला और सांस की नलियों को प्रभावित करती है। यहाँ पर कुछ प्रमुख लक्षणों के संबध में चर्चा की गई है:

• नाक में खिचाव और जलन: नजले के पहले लक्षण में नाक में खिचाव और जलन हो सकती है।

• सूजन और नाक बहना: नाक की मुख्य नसों में सूजन और नाक बहने की समस्या हो सकती है।

• खांसी: नजले के साथ खांसी भी हो सकती है, जो खराब ठंडे में बदतर हो सकती है।

• गले में खराश और दर्द: गले में खराश और दर्द की समस्या भी नजले के साथ हो सकती है।

• सिरदर्द और भारीपन: सिरदर्द और भारीपन की समस्या और थकान आदि भी नजले के संकेत हो सकते हैं।

• आंखों के नीचे की स्थानों में दर्द और चुभन: आंखों के नीचे की स्थानों में दर्द और चुभन की समस्या भी नजले के लक्षण हो सकती है।

• नाक बंद होना या अच्छी तरह से सांस लेने में कठिनाई: नजले के कारण नाक बंद हो सकती है या सांस लेने में कठिनाई हो सकती है।

•  श्वास लेने में कठिनाई: नाक में संकोच होने की वजह से श्वास लेने में कठिनाई हो सकती है।

•  खांसी और बलगम: नजले के कारण गर्मियों में बढ़ी खांसी और नीली बलगम की समस्या हो सकती है।

•  गले में सूजन और खांसी के साथ आवाज में बदलाव:  गले में सूजन, खांसी के साथ आवाज में बदलाव भी नजले के लक्षण हो सकते हैं।

• बुखार और शीवरिंग: नजले के साथ बुखार और शीवरिंग की समस्या हो सकती है।

•  गले में सूजन और दर्द: नजले के कारण गले में सूजन और दर्द हो सकते हैं।

• आँखों में जलन और लालिमा: आँखों में जलन और लालिमा भी नजले के साथ हो सकती है।

• नींद में दिक्कत: नजले के कारण नींद में दिक्कत हो सकती है और आपकी नींद खराब हो सकती है।

• श्वास लेने में दिक्कत: नजले के कारण श्वास लेने परेशानी होना।

ये थे कुछ प्रमुख नजले के होने वाले लक्षण। यदि आपको लगता है कि आप नजले से पीड़ित हो रहे हैं, तो आपको जल्दी से डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए और उपयुक्त उपचार करवाना चाहिए।

नजला (सर्दी जुकाम) का आयुर्वेदिक उपचार क्या है?

नजला या सर्दी-जुकाम आमतौर पर वायरल इंफेक्शन के कारण होता है और यह नाक, गला और सांस की नलियों को प्रभावित करता है। आयुर्वेद में नजले का उपचार प्राकृतिक तरीकों से किया जाता है जिसमें आहार, पानी, औषधियाँ और आयुर्वेदिक प्रथाओं का प्रयोग किया जाता है। निम्नलिखित हैं कुछ आयुर्वेदिक उपचार जिनसे आप नजले के लक्षणों को कम कर सकते हैं:

• तुलसी काढ़ा: तुलसी के पत्तों से बनाया गया काढ़ा अच्छे से सेंककर पीने से नजले के लक्षण में आराम मिलता है।

• अदरक की चाय: अदरक की चाय नजले के लक्षण को कम करने में मदद करती है।

• मुलेठी चूर्ण: मुलेठी का चूर्ण शहद के साथ मिलाकर सेवन करने से गले की खराश में आराम मिलता है।

• हल्दी दूध: हल्दी के साथ दूध पीने से नजले के लक्षण में आराम मिलता है और इन्फेक्शन को कम करने में मदद मिलती है।

• गरारा करना: गरारा करने के लिए गर्म पानी में नमक मिलाकर करेला रस, लहसुन का रस और शहद मिलाकर कुल्ला करने से गले में आराम मिलता है।

 • आंवला: आंवला में विटामिन सी की मात्रा होती है जो इम्यूनिटी को मजबूती प्रदान करती है और इन्फेक्शन से लड़ने में मदद करती है।

•  त्रिफला चूर्ण: त्रिफला चूर्ण नजले के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकता है।

• यश्तिमधु: यश्तिमधु का चूर्ण गरारे के लिए उपयोगी होता है और गले की खराश को कम कर सकता है।

• नीम हल्दी चूर्ण: नीम हल्दी चूर्ण को शहद के साथ मिलाकर सेवन करने से नजले के लक्षण में आराम मिलता है।

•  अश्वगंधा: अश्वगंधा की चाय पीने से शरीर की शक्ति बढ़ती है और इम्यूनिटी को मजबूती प्रदान करती है।

•  वसा करण कार्य: नास्य कर्म के लिए अनुवासन तेल, आयुर्वेदिक घी, और तिल तेल का प्रयोग करने से नजले के लक्षण में आराम मिलता है।

•  नेती-करण: नेती-करण की प्रक्रिया से सिरा, गला और नाक से बलगम निकलता है और नजले के लक्षणों को कम करने में मदद मिलती है।

•  धूमपान: धूमपान करने से नाक, गला और सांस की नलियों में सफाई होती है और नजले के लक्षणों को कम किया जा सकता है।

•  उपायों का पालन: आयुर्वेदिक उपचारों के साथ-साथ उपायों का पालन करना भी जरूरी है, जैसे कि सफाई का ध्यान रखना, आराम करना, अच्छे से पानी पीना आदि।

यहाँ दिए गए आयुर्वेदिक उपाय नजले के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकते हैं। हालांकि, आपको डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए और आयुर्वेदिक उपायों का प्रयोग करने से पहले उनसे परामर्श करना बेहतर होगा।

नजला (सर्दी जुकाम) से बचाव और सावधानियां

नजला एक आम स्वास्थ्य समस्या है जिसमें नाक में सूजन, खांसी, जुकाम और गले में दर्द होता है। यह समस्या वायरस या बैक्टीरिया के कारण हो सकती है और आपकी दिनचर्या को प्रभावित कर सकती है। निम्नलिखित कुछ सावधानियां और बचाव उपाय आपकी मदद कर सकते हैं:

• हाथों की सफाई: हर बार हाथ धोने के बाद अच्छे से साबुन से सफाई करें और हाथों को सुखाने के लिए स्वच्छ तौलिया उपयोग करें।

• अल्कोहल-आधारित हैंड सैनिटाइजर: अल्कोहल-आधारित हैंड सैनिटाइजर का उपयोग करके भी हाथों की सफाई करें।

• नाक के पास न जाएं: अगर किसी को नजला है तो उनसे ज्यादा करीब न जाएं, कुछ फिजिकल कॉन्टैक्ट से इसका संक्रमण हो सकता है।

कपड़ा और टिशू: खांसने या छींकने के समय अपने मुंह और नाक को एल्बो या टिशू पेपर या कपड़े से ढके।

•  अच्छा खानपान और पानी की पर्याप्त मात्रा: अपने खानपान में पूरे परिपक्व फल, सब्जियाँ, और पानी की पर्याप्त मात्रा शामिल करें, ताकि आपकी इम्यूनिटी मजबूत रह सके।

• स्वस्थ जीवनशैली: प्रतिदिन की शारीरिक गतिविधियों का पालन करें, योग या व्यायाम करें, और नियमित आराम लें।

• स्थानीय हेल्थ विभाग की सलाह:  यदि आपको ज्यादा लक्षण हो रहे हैं या अस्वस्थ महसूस कर रहे हैं, तो स्थानीय हेल्थ विभाग की सलाह लें और उनके दिशानिर्देशों का पालन करें।

• नियमित स्वास्थ्य चेकअप: आप नियमित चेकअप कराते रहें। ताकि शरीर में किसी भी संक्रमण का पता चलता रहे।

• खांसी और छींकने में सावधानियां: खांसी या छींकते समय अपने मुंह और नाक को डिस्पोजेबल टिशू से ढकें, और टिशू को फेंक दें।

• बिना डायगनोसिस के दवाओं का प्रयोग न करें: यदि आपको लक्षण हो रहे हैं तो स्वयं डायगनोसिस न करें और बिना डॉक्टर की सलाह के दवाओं का प्रयोग न करें।

•  व्यक्तिगत वस्तुओं का प्रयोग: आपके प्रयोग होने वाली वस्तुएं जैसे कि तौलिये, कपड़े, और बर्तनों का संयम रखें, क्योंकि ये भी बीमारियों के प्रसार में मदद कर सकते हैं।

• वायरस और बैक्टीरिया से बचाव: स्वच्छता का ध्यान रखें और सवार्जनीय स्थानों पर न जाएं, क्योंकि नजला आमतौर पर वायरस और बैक्टीरिया के कारण होता है।

•  विश्राम और पूरी नींद: पर्याप्त आराम और नींद का पालन करना आपकी इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाए रखेगा।

• अपने सामग्रीयों को साफ और सुरक्षित रखें: स्वच्छता का ध्यान रखने के साथ-साथ अपने सामग्रीयों को सुरक्षित रखना भी महत्वपूर्ण है।

• स्वस्थ आहार: स्वस्थ आहार लेने से आपकी इम्यूनिटी मजबूत होती है, जिससे आपके शरीर को नजला जैसी सामस्याओं से लड़ने की क्षमता मिलती है।

नजला से बचाव के उपाय अधिकांशत: हाथों की सफाई, अल्कोहल-आधारित हैंड सैनिटाइजर का उपयोग, नाक के पास न जाना, खांसी और छींकने की सावधानियां, स्वस्थ खानपान और पानी की पर्याप्त मात्रा, स्वस्थ जीवनशैली का पालन, स्थानीय हेल्थ विभाग की सलाह, खांसी और छींकने की सावधानियां, बिना डायगनोसिस के दवाओं का प्रयोग न करना, व्यक्तिगत सामग्रीयों का संयम, वायरस और बैक्टीरिया से बचाव, विश्राम और पूरी नींद का पालन, अपने सामग्रीयों को साफ और सुरक्षित रखना, स्वस्थ आहार का सेवन, आदि हैं। इन उपायों का पालन करके आप नजला से बच सकते हैं और अपनी स्वास्थ्य की देखभाल कर सकते हैं।

एसपी सिंह चंद्रमा

एसपी सिंह चंद्रमा

अधिकतर मेरे लेख अपने आरोग्य को सुधारने, प्राकृतिक चिकित्सा और आयुर्वेद के अद्भुत फायदों पर आधारित होते हैं। मेरा उद्देश्य सामान्य लोगों को स्वस्थ और संतुलित जीवन जीने के लिए प्रेरित करना है और उन्हें शक्तिशाली आयुर्वेदिक उपचार और उपायों से अवगत कराना है। मेरे लेखों में आपको विशेषज्ञ सलाह और नैतिकता के साथ विश्वसनीय जानकारी मिलेगी जो आपके रोगों को दूर करने में मदद करेगी और आपको स्वस्थ और प्रकृति से समृद्ध जीवन जीने में सहायता करेगी। धन्यवाद।

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